इंदौर, 16 सितंबर मध्यप्रदेश सरकार के इंदौर स्थित देवी अहिल्या विश्वविद्यालय (डीएवीवी) की वार्षिक परीक्षाओं में पत्रकारिता के स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम के एक पर्चे में कुछ राजनीतिक सवालों को लेकर जारी विवाद ने बुधवार को तूल पकड़ लिया। इसके बाद डीएवीवी प्रशासन ने मामले को परीक्षा समिति को सौंप दिया जो विवादास्पद प्रश्नों पर फैसला करेगी।
डीएवीवी के प्रभारी कुलपति अशोक शर्मा ने संवाददाताओं को बताया, "मास्टर ऑफ जर्नलिज्म (एमजे) पाठ्यक्रम के पर्चे के कुछ सवालों पर आपत्तियां सामने आने के बाद हमने यह मामला परीक्षा समिति को भेज दिया है। हम आपत्तियों का निराकरण करते हुए परीक्षार्थियों के हित में फैसला करेंगे।"
उन्होंने बताया, "अगर परीक्षा समिति जांच के बाद संबंधित प्रश्नों को आपत्तिजनक मानती है, तो इन्हें छोड़कर बाकी सवालों के जवाबों के आधार पर परीक्षार्थियों का आनुपातिक मूल्यांकन किया जा सकता है।"
इससे पहले, भारतीय राष्ट्रीय छात्र संगठन (एनएसयूआई) के कार्यकर्ताओं ने पर्चे के विवादास्पद सवालों को लेकर डीएवीवी परिसर में प्रभारी कुलपति से तीखी बहस की। इस दौरान एनएसयूआई के डीएवीवी प्रभारी विकास नंदवाना ने आरोप लगाया कि इस विश्वविद्यालय का "भाजपाईकरण" हो चुका है और पत्रकारिता पाठ्यक्रम की परीक्षाओं तक में इसी दल के पक्ष में सवाल पूछे जा रहे हैं।
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एनएसयूआई ने विवादास्पद पर्चे को रद्द किये जाने की मांग की है।
इस पर्चे में परीक्षार्थियों को पिछले लोकसभा चुनावों के दौरान भाजपा की जीत और कांग्रेस को "आशातीत विजय नहीं मिलने" के कारणों की व्याख्या करने को कहा गया है। पर्चे में यह भी पूछा गया है कि क्या मौजूदा हालात में देश में "एक दलीय व्यवस्था" लागू हो सकती है और आजादी के सात दशक बाद आरक्षण कितना उपयोगी है?
ये सवाल एमजे की सालाना परीक्षा में "विविध राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मसलों का विश्लेषण" विषय के पर्चे में पूछे गये हैं। यह पर्चा परीक्षाओं की ओपन बुक प्रणाली के तहत डीएवीवी की वेबसाइट पर 14 सितंबर को अपलोड किया गया और परीक्षार्थियों को लिखित उत्तरपुस्तिकाएं 19 सितंबर तक जमा करानी हैं।
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