नयी दिल्ली, 10 सितंबर सरकार वाहनों की ‘उम्र’ के बजाय उनसे फैलने वाले प्रदूषण के आधार पर उन्हें कबाड़ में बदलने की नीति पर काम कर रही है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने मंगलवार को यह जानकारी दी।
सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के सचिव अनुराग जैन ने यहां वाहन विनिर्माताओं के संगठन सियाम के वार्षिक सम्मेलन में वाहन उद्योग से प्रदूषण जांच के कार्यक्रम को ‘भरोसेमंद’ बनाने में सरकार की मदद करने को कहा।
जैन ने कहा, ‘‘जब आप 15 साल पुराने वाहन को कबाड़ में बदलना अनिवार्य करने वाली नीति लेकर आते हैं तो लोगों का एक सवाल होता है कि अगर उन्होंने अपने वाहन का अच्छी तरह से रखरखाव किया है, तो उनके वाहन को कबाड़ में क्यों बदला जाना चाहिए। आप इसे अनिवार्य नहीं कर सकते।’’
उन्होंने कहा कि ऐसी स्थितियों पर विचार करने के लिए सरकार इसका अध्ययन केवल प्रदूषण के लिहाज से कर रही है।
उन्होंने कहा, ‘‘सरकार इसके लिए एक नीति पर काम कर रही है। क्या हम बीएस-2 से पहले का जिक्र कर सकते हैं? हम उम्र की बात नहीं कर रहे हैं।... क्या हम वाहन प्रदूषण के लिए कोई सीमा तय कर सकते हैं?’’
हालांकि, उन्होंने उद्योग से यह सुनिश्चित करने को कहा कि इस स्थिति में भी प्रदूषण जांच भरोसेमंद हो।
सड़क परिवहन एवं राजमार्ग सचिव ने कहा, ‘‘मैं आप सभी से अनुरोध करूंगा कि प्रदूषण जांच का कार्यक्रम तय करने में हमारी मदद करें। हमें पता है कि अभी किस तरह प्रमाण पत्र प्राप्त करते हैं। ऐसे में प्रदूषण प्रमाण पत्र को भरोसेमंद होना चाहिए।’’
उन्होंने कबाड़ घोषित किए जा चुके पुराने वाहनों के बदले नए वाहनों की खरीद पर तीन प्रतिशत तक की छूट देने के लिए वाहन उद्योग की सराहना भी की।
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