नई दिल्ली, 31 जुलाई दिल्ली उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को जेल अधिकारियों से कहा कि कैदियों के लिए तिहाड़ के उच्च सुरक्षा वार्ड के बाहर टेलिविजन लगाने पर विचार किया जाये। अदालत का कहना है कि यह एक ‘छोटा’ आग्रह है जिससे उनका बजट प्रभावित नहीं होगा।
मुख्य न्यायाधीश डी एन पटेल और न्यायमूर्ति प्रतीक जालान ने कहा, ‘‘ वे भी पीड़ा झेल रहे हैं। ये लोग कोई बड़ी चीज नहीं मांग रहे हैं। कोई कीमती सामान नहीं मांग रहे हैं जिससे जेल का बजट प्रभावित होगा। यह कोई बड़ी मांग नहीं है।’’
अदालत ने दिल्ली सरकार के अतिरिक्त स्थायी वकील गौतम नारायण से कहा कि वह इस संबंध में निर्देश प्राप्त करें और सात अगस्त को इससे उसे अवगत करायें।
वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए हुई सुनवाई में नारायण ने पीठ को बताया कि याचिकाकर्ता दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंध समिति ने कैदियों को अकेले रखने की बात अपनी याचिका में की है लेकिन किसी भी कैदी को अकेले नहीं रखा जा रहा है।
डीएसजीएमसी ने अपनी याचिका में दावा किया था कि उच्च खतरे वाले मरीजों को अलग रखा जाता है और मौजूदा कोविड-19 महमारी की स्थिति कि वजह से उन्हें बाहरी दुनिया के किसी भी व्यक्ति से मिलने नहीं दिया जा रहा है जिससे वे अवसाद में हैं।
याचिका में दावा किया गया है कि ऐसे माहौल में इस तरह के कैदियों के जीवित रहने के लिए टीवी जैसी चीजें अनिवार्य हैं।
(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)