भुवनेश्वर, 28 सितंबर कांग्रेस की ओडिशा इकाई ने सोमवार को हाल ही में पारित किए गए कृषि विधेयकों को निरस्त करने की मांग को लेकर राजभवन के पास प्रदर्शन किया।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने रविवार को तीन कृषि विधेयकों को मंजूरी दे दी। ये तीन विधेयक हैं- किसान उपज व्यापार एवं वाणिज्य (संवर्धन एवं सुविधा) विधेयक, 2020, किसान (सशक्तीकरण एवं संरक्षण) मूल्य आश्वासन अनुबंध एवं कृषि सेवाएं विधेयक, 2020 और आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक, 2020।
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विधेयक पहले संसद में पारित किए गए थे, जिससे देश के विभिन्न हिस्सों में किसानों और राजनीतिक दलों द्वारा विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया था।
कृषि विधेयकों के खिलाफ कांग्रेस के इस प्रदर्शन में राज्य इकाई के पूर्व अध्यक्ष जयदेव जेना और पूर्व सांसद प्रदीप माझी सहित बड़ी संख्या में पार्टी कार्यकर्ताओं और नेताओं ने भाग लिया। उन्होंने केंद्र पर किसान विरोधी नीति अपनाने का आरोप लगाया।
प्रदर्शनकारी तख्तियां और बैनर पकड़कर राजभवन के पास जमा हो गए और केंद्र में भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार के खिलाफ नारेबाजी कर विधेयक वापस लेने की मांग की।
पीसीसी के पूर्व प्रमुख जयदेव जेना ने कहा कि छोटे और सीमांत किसानों ने स्वेच्छा से विरोध प्रदर्शन के साथ खुद को जोड़ रखा है।
उन्होंने कहा कि जब तक केंद्र विधेयकों को वापस नहीं लेता तब तक आंदोलन जारी रहेगा।
उन्होंने कहा,‘‘ये विधेयक हरित क्रांति को बर्बाद करने के लिए एक साजिश का हिस्सा हैं और किसानों और कृषि को नष्ट कर मुट्ठी भर पूंजीपतियों को फायदा पहुंचाएंगे।’’
प्रदीप मांझी ने कहा कि देश भर में करोड़ों किसान और खेतिहर मजदूर विधेयकों के खिलाफ आंदोलन कर रहे हैं। कृषि क्षेत्र में कॉर्पोरेट और पूंजीपतियों का प्रवेश गरीब किसानों के लिए कठिनाई पैदा कर उन्हें खेत मजदूर बनने पर बाध्य कर देगा।
माझी ने दावा किया कि ये विधेयक एपीएमसी को नष्ट कर देंगे और पूंजीपतियों को कृषि उपज की कीमतें तय करने की व्यापक शक्तियां देंगे।
कांग्रेस नेताओं ने भी राष्ट्रपति को ज्ञापन भेजकर विधेयकों को निरस्त करने के लिए अपना हस्तक्षेप करने की मांग की।
कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि पार्टी मंगलवार को अपने मानसून सत्र के दौरान राज्य विधानसभा में भी इस मुद्दे को उठाएगी।
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