बेंगलुरु, 28 अगस्त : कर्नाटक के गृहमंत्री जी. परमेश्वर ने बुधवार को संकेत दिया कि राज्य में सत्तारूढ़ कांग्रेस के विधायकों का एक प्रतिनिधिमंडल राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मुलाकात करके मैसूरु शहरी विकास प्राधिकरण (एमयूडीए) मामले में मुख्यमंत्री के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी देने संबंधी राज्यपाल थावरचंद गहलोत के निर्णय के खिलाफ शिकायत कर सकता है. परमेश्वर ने कहा कि इस संबंध में एक अस्थायी योजना बना ली गई है तथा अदालत में होने वाले घटनाक्रम पर गौर करने के बाद इस कदम पर निर्णय लिये जाने की संभावना है. राज्यपाल ने मुख्यमंत्री की पत्नी बी. एम. पार्वती को एमयूडीए द्वारा प्रतिपूरक भूखंडों के आवंटन में कथित अनियमितताओं के संबंध में मुख्यमंत्री के खिलाफ जांच शुरू करने और उन पर मुकदमा चलाने की 16 अगस्त को मंजूरी दी थी. मुख्यमंत्री ने राज्यपाल के आदेश की वैधता को उच्च न्यायालय में चुनौती दी है, जिसने 19 अगस्त को अपनी कार्यवाही 29 अगस्त के लिए स्थगित कर दी तथा निचली अदालत से कहा था कि वह तब तक निजी शिकायतों पर विचार न करे.
परमेश्वर ने कहा, "हमने राज्यपाल के आचरण के संबंध में चर्चा की है और कुछ निर्णय लिये हैं. हमारे प्रदेश अध्यक्ष डी के शिवकुमार ने सूचित किया है कि पार्टी की ओर से पूरे राज्य में विरोध प्रदर्शन किया जाएगा, उसके बाद या उसी के साथ सभी विधायक और सांसद राज्यपाल को ज्ञापन सौंपने का प्रयास करेंगे." उन्होंने यहां संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि अदालत में होने वाले घटनाक्रम और निर्णयों को ध्यान में रखते हुए सभी विधायकों की राष्ट्रपति से मुलाकात के संबंध में एक अस्थायी योजना पर चर्चा की गई है. उन्होंने कहा, "इकत्तीस अगस्त को ‘राजभवन चलो’ (कार्यक्रम) की योजना बनाई गई है... हम राज्यपाल से मिलने और उन्हें ज्ञापन सौंपने के विकल्प अख्तियार करना चाहते हैं." यह भी पढ़ें : Chhattisgarh Swine Flu: छत्तीसगढ़ में स्वाइन फ्लू के बढ़ते मामले को लेकर अलर्ट पर राज्य सरकार, दिए ये निर्देश
कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री शिवकुमार ने मंगलवार को कहा कि कांग्रेस विधायक और सांसद 31 अगस्त को राजभवन तक पैदल मार्च निकालेंगे और राज्यपाल को ज्ञापन सौंपेंगे, जिसमें उनसे जनता दल (सेक्युलर) नेता एवं केंद्रीय मंत्री एच डी कुमारस्वामी सहित अन्य के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी के लंबित अनुरोधों पर कार्रवाई करने का अनुरोध किया जाएगा. राज्यपाल द्वारा वापस भेजे गए ग्यारह विधेयकों के बारे में मंत्री ने कहा, "देखते हैं, कानूनी टीम पड़ताल कर रही है. हम सबसे पहले मांगे गए स्पष्टीकरण के बारे में उन्हें बताएंगे और फिर उन्हें वापस भेजेंगे. यदि वह फिर भी आश्वस्त नहीं होते हैं तो हमें राष्ट्रपति के पास जाना होगा." भाजपा द्वारा कथित एमयूडीए 'घोटाले' के खिलाफ राष्ट्रीय स्तर पर विरोध प्रदर्शन करने और मुख्यमंत्री सिद्धरमैया के इस्तीफे की मांग की योजना पर परमेश्वर ने कहा कि अगर विपक्षी पार्टी इस पर आगे बढ़ती है, तो कांग्रेस भी उसी तरह से इसका मुकाबला करेगी. उन्होंने कहा, "यह पार्टी स्तर पर किया जाना चाहिए या ‘इंडिया’ गठबंधन सहयोगियों को शामिल करके, (इस बारे में) पार्टी हाईकमान तय करेगा. अगर भाजपा राष्ट्रीय स्तर पर विरोध प्रदर्शन करती है तो हम भी राष्ट्रीय स्तर पर इसका मुकाबला करेंगे."
उच्च न्यायालय में बृहस्पतिवार को सुनवाई के लिए आने वाली मुख्यमंत्री की याचिका पर परमेश्वर ने कहा कि उम्मीद है कि उच्च न्यायालय राज्यपाल के फैसले के पक्ष में दलीलों पर विचार नहीं करेगा. उन्होंने कहा, "सिद्धरमैया की संलिप्तता के बारे में साक्ष्य होने चाहिए. अगर वे (साक्ष्य) हैं, तो उन्हें संज्ञान में लिया जा सकता है. जब कोई साक्ष्य नहीं है, जैसे- उनके हस्ताक्षर, उनका आदेश, संलिप्तता और नाम तथा यहां तक कि पंजीकरण में भी उनका नाम नहीं है. जब ऐसा मामला है, तो अदालत इन सभी चीजों पर गौर करेगी और इस पर फैसला करेगी." इस सवाल पर कि क्या पार्टी आलाकमान ने 29 अगस्त को अदालत में होने वाले घटनाक्रम के सिद्धरमैया के खिलाफ जाने की स्थिति में अगले कदम के बारे में कोई चर्चा की है, मंत्री ने कहा, "उन्होंने यही बताया है कि क्या होगा, इसका अनुमान नहीं लगाया जा सकता, एक बार चीजें (स्पष्ट) हो जाएं तो चर्चा करेंगे."
सिद्धरमैया के इस्तीफे की स्थिति में उनके मुख्यमंत्री बनने की अटकलों के बारे में पूछे जाने पर परमेश्वर ने कहा कि यह सवाल ही नहीं उठता और यह मुद्दा कभी चर्चा में नहीं आया. परमेश्वर ने हाल ही में दिल्ली की एक यात्रा के दौरान कांग्रेस नेतृत्व- मल्लिकार्जुन खरगे और राहुल गांधी- के साथ एक लंबी चर्चा की थी. उन्होंने कहा, "(मेरी) वरिष्ठता हो सकती है.....यह सच है कि राहुल गांधी ने मुझसे अलग से बात की, लेकिन क्या चर्चा हुई, इसका अनुमान नहीं लगाया जा सकता. मैं पार्टी का एक अनुशासित सिपाही हूं और समय-समय पर मुझे जो जिम्मेदारी दी गई, उसे पूरा किया है. उन्होंने (राहुल) मुझसे पार्टी के मामलों के बारे में बात की, इसके अलावा किसी और बात पर चर्चा नहीं हुई."
भाजपा द्वारा राज्यपाल को दी गई उस अर्जी के बारे में पूछे जाने पर जिसमें उसने कांग्रेस अध्यक्ष एम मल्लिकार्जुन खरगे सहित उनके परिवार द्वारा संचालित एक ट्रस्ट को कथित तौर पर भूमि आवंटित करने के मामले में मंत्री एवं मल्लिकार्जुन खरगे के बेटे प्रियंक खरगे को बर्खास्त करने की मांग की है, परमेश्वर ने कहा, "राज्यपाल को इसकी जांच करने दें और अगर कुछ भी अवैध है, तो उन्हें आवश्यक कार्रवाई करने दें. वह ऐसा करने के लिए स्वतंत्र हैं." भूमि आवंटन में खरगे परिवार द्वारा किसी भी तरह के प्रभाव से इंकार करते हुए उन्होंने कहा कि कोई भी व्यक्ति निर्धारित शर्तों और मानदंडों के अनुसार भूमि की मांग कर सकता है. उन्होंने कहा, "भूमि निर्धारित दर पर खरीदी जा सकती है, कम दर पर नहीं." उन्होंने कहा कि हर सरकार के कार्यकाल के दौरान आरोप लगाए जाते हैं, मंत्री ने एक सवाल का जवाब देते हुए कहा कि जब निराधार आरोप लगाए जाते हैं, तो उनका खंडन किया जाना चाहिए और उन्हें निराधार साबित किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा, "हम उस प्रक्रिया में हैं."