धर्मशाला, 1 अक्टूबर : हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री एवं भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता शांता कुमार ने शुक्रवार को कहा कि राष्ट्रीय राजनीति में फिर से प्रासंगिक बनने के लिए कांग्रेस को गांधी परिवार की छत्रछाया से बाहर आना चाहिए. उन्होंने कहा कि यदि कांग्रेस को राजनीतिक परिदृश्य से हटा दिया जाता है, तो भारत का लोकतंत्र राष्ट्रीय विपक्ष के बिना रह जायेगा. कुमार ने यहां जारी एक बयान में कांग्रेस को भाजपा के बाद देश की एकमात्र राष्ट्रीय पार्टी बताते हुए उसके महत्व पर प्रकाश डाला. उन्होंने कहा, ‘‘लोकतंत्र का रथ दो पहियों पर चलता है. एक सत्ता पक्ष और दूसरा विपक्ष.’’
उन्होंने कहा कि देश की सबसे पुरानी पार्टी, जो कभी नेहरू, गांधी और पटेल के नेतृत्व में थी, हाल में एक ‘‘मजाक’’ बनकर रह गई है. कुमार ने सक्षम नेतृत्व प्रदान करने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की प्रशंसा की, लेकिन देश में एक मजबूत विपक्ष के महत्व पर भी जोर दिया. उन्होंने कहा, ‘‘अटल जी (अटल बिहारी वाजपेयी) कहा करते थे कि हमें हमेशा पार्टियों की छोटी दीवारों में नहीं रहना चाहिए- इसलिए मैं यह देश के मंदिर में खड़े होकर कह रहा हूं.’’ कुमार (87) ने कहा कि कांग्रेस के लिए एकमात्र इलाज गांधी परिवार की ‘‘गुलामी’’ से बाहर आना है. उन्होंने कहा कि पार्टी (कांग्रेस) में एक से अधिक राष्ट्रीय नेता हैं. यह भी पढ़ें : हरीश रावत की केंद्र को चेतावनी, पंजाब की बहुमत की सरकार को गिराने की कोशिश न करें
उन्होंने पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह से कांग्रेस नहीं छोड़ने बल्कि गुलाम नबी आजाद, कपिल सिब्बल और शशि थरूर जैसे जी-23 नेताओं के साथ बैठकर पार्टी में ‘आजादी के लिए लड़ने’ और एक परिवार की ‘गुलामी’ से बाहर निकलने का आग्रह किया. ‘ जी-23’ कांग्रेस के उन नेताओं का एक समूह है, जिन्होंने पिछले साल सोनिया गांधी को पत्र लिखकर पार्टी में संगठनात्मक बदलाव की मांग की थी.