जयपुर, 12 अक्टूबर राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सोमवार को कहा कि राज्य सरकार आम लोगों की भावना और जन अधिकार कार्यकर्ताओं की मंशा के अनुरूप काम करते हुए संवेदनशील, जवाबदेह और पारदर्शी शासन के लिए संकल्पबद्ध है।
मुख्यमंत्री देश में सूचना का अधिकार (आरटीआई) अधिनियम, 2005 लागू होने की 15वीं वर्षगांठ के अवसर पर आयोजित एक राष्ट्रीय वेबीनार को संबोधित कर रहे थे।
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उन्होंने कहा कि राज्य सरकार द्वारा सूचना का अधिकार अधिनियम की पालना में स्थापित ‘जन सूचना पोर्टल‘ इसी दिशा में उठाया गया कदम है। आने वाले दिनों में इसके माध्यम से ऐसी व्यवस्था लागू की जाएगी, कि लोगों को किसी विभाग से जानकारी लेने के लिए सूचना आवेदन की आवश्यकता ही नहीं पड़े।
उन्होंने कहा कि देश में आरटीआई कानून का लागू होना मामूली बात नहीं है। संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) अध्यक्ष सोनिया गांधी की प्रतिबद्धता और निर्देशन में इस क्रांतिकारी कानून के माध्यम से देश के सभी नागरिकों को सूचना प्राप्त कर तथ्यों को जानने का अधिकार दिया गया।
गहलोत ने कहा कि आरटीआई से पूरे देश की शासन व्यवस्था में पारदर्शिता आई। इसके लिए सूचना अधिकार कार्यकर्ताओं ने संघर्ष किया और कुछ कार्यकर्ताओं को अपनी जान भी गंवानी पड़ी।
उन्होंने कहा कि भारत की जनता को इस कानून की आवश्यकता थी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राजस्थान के जन सूचना पोर्टल की तर्ज पर महाराष्ट्र और कर्नाटक में भी सूचना पोर्टल तैयार किए जा रहे हैं। इन राज्यों के अधिकारी इसके लिए राजस्थान के अधिकारियों के साथ संपर्क में हैं, यह राजस्थान के लिए हर्ष का विषय है।
गहलोत ने कहा कि राज्य में मुख्य सूचना आयुक्त व अन्य सूचना आयुक्त एक महीने में नियुक्त कर दिए जाएंगे।
उन्होंने एक माह में राज्य सूचना आयोग में मुख्य सूचना आयुक्त तथा अन्य सूचना आयुक्तों की नियुक्ति करने और आरटीआई आवेदन के माध्यम से सूचना प्राप्त करने की प्रक्रिया को 31 दिसम्बर तक पूरी तरह ऑनलाइन करने की घोषणा की।
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