इंफाल, 15 नवंबर मणिपुर के छह पुलिस थाना क्षेत्रों में सशस्त्र बल विशेषाधिकार अधिनियम (अफस्पा) को पुनः लागू किये जाने की मणिपुर कांग्रेस और अन्य क्षेत्रीय संगठनों ने कड़ी निंदा की है।
प्रदेश कांग्रेस प्रमुख कैशम मेघचंद्र ने शुक्रवार को इस फैसले की आलोचना करते हुए कहा कि यह राज्य में चल रही उथल-पुथल को दूर करने में केंद्र और राज्य दोनों सरकारों की विफलता का स्पष्ट संकेत है।
‘एक्स’ पर एक पोस्ट में उन्होंने कहा कि इंफाल पूर्व, इंफाल पश्चिम, बिष्णुपुर, जिरीबाम और कांगपोकपी जैसे जिलों में अफस्पा को फिर से लागू करना, 18 महीने की अशांति के बाद शांति बहाल करने में भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार की अक्षमता को दर्शाता है।
जिन पुलिस थाना क्षेत्रों में अफस्पा को फिर से लागू किया गया है, वे हैं इंफाल पश्चिम जिले में सेकमाई और लमसांग, इंफाल पूर्वी जिले में लमलाई, जिरीबाम जिले में जिरीबाम, कांगपोकपी में लीमाखोंग और बिष्णुपुर में मोइरांग।
मेघचंद्र ने आगे चिंता व्यक्त की कि इस कदम से पूरे मणिपुर में अफस्पा लागू करने का रास्ता साफ हो सकता है, जिससे स्थानीय लोगों में भय बढ़ जाएगा।
'मणिपुर की अखंडता पर समन्वय समिति' (सीओसीओएमआई) के शीर्ष निकाय ने भी इस फैसले का कड़ा विरोध किया है।
सीओसीओएमआई के प्रवक्ता के. अथौबा ने अफस्पा को दोबारा लागू करने के पीछे के औचित्य पर सवाल उठाया तथा केंद्र से यह स्पष्ट करने का आग्रह किया कि यह अधिनियम शांति और सामान्य स्थिति बहाल करने में किस प्रकार मदद करेगा।
अथौबा ने इस बात पर जोर दिया कि मणिपुर के लोग इस कदम को नयी दिल्ली द्वारा राज्य सरकार को कमजोर करने तथा प्रभावित क्षेत्रों में एक प्रकार से राष्ट्रपति शासन लागू करने जैसा कदम मानते हैं।
शिवसेना ने स्थानीय स्तर पर इस कानून के विरोध को देखते हुए इंफाल घाटी के उन क्षेत्रों से भी अफस्पा हटाने की मांग की जहां इसे हाल में लागू किया गया है।
एक अन्य घटनाक्रम में, हजारों प्रदर्शनकारियों ने नागा बहुल क्षेत्र उखरुल जिले में अफस्पा, सीमा बाड़ लगाने तथा मुक्त आवागमन व्यवस्था के तहत प्रतिबंधों का विरोध करने के लिए मार्च निकाला।
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