देश की खबरें | पश्चिम एशिया में संघर्ष से व्यापार प्रवाह में व्यवधान उत्पन्न हुआ, जोखिम कम करने की जरूरत: जयशंकर

नयी दिल्ली, छह सितंबर विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शुक्रवार को कहा कि पश्चिम एशिया में चल रहे संघर्ष के कारण अहम जहाज मार्गों और व्यापार के प्रवाह में व्यवधान से जोखिम कम करने की जरूरत को बल मिला है।

जयशंकर ने प्रस्तावित भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारे (आईएमईसी) का जिक्र करते हुए कहा कि इसका लक्ष्य ‘वैश्विक कनेक्टिविटी का आधार’ बनना है।

जयशंकर भारत-भूमध्यसागरीय व्यापार सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे।

उन्होंने कहा, ‘‘पश्चिम एशिया में चल रहे संघर्ष ने कुछ समकालीन पहल के बारे में चिंता पैदा कर दी है।’’

जयशंकर ने भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) द्वारा आयोजित सम्मेलन में कहा, ‘‘महत्वपूर्ण जहाजरानी मार्गों में व्यवधान से माल की ढुलाई लागत में वृद्धि हुई है और व्यापार प्रवाह को पुन: बहाल करने की आवश्यकता उत्पन्न हो गई है, जिससे हमारी सामूहिक चिंताएं बढ़ गई हैं।’’

उन्होंने कहा कि अगर आप इन घटनाओं पर विचार करते हैं, तो वे जोखिम को कम करने की जरूरत पर बल देते हैं। उन्होंने कहा कि जैसे-जैसे भारत, यूरोप और मध्य पूर्व के तीन केंद्र अपनी बातचीत बढ़ाएंगे, ‘कनेक्टिविटी’ की अधिक आवश्यकता होगी।

गाजा में इजराइल के सैन्य अभियान के जवाब में इस साल की शुरुआत में हूती उग्रवादियों द्वारा लाल सागर में व्यापारिक जहाजों पर हमले किए गए थे।

जयशंकर ने सुरक्षा और स्थिरता के महत्व को भी रेखांकित किया। उन्होंने कहा, ‘‘एक अस्थिर और अनिश्चित दुनिया में, सुरक्षा और स्थिरता आकलन का एक अभिन्न अंग होना चाहिए।’’

उन्होंने कहा, ‘‘इसलिए, यह स्वाभाविक है कि भूमध्यसागरीय देशों के साथ रक्षा और सुरक्षा सहयोग को मजबूत करना वास्तव में गहरे आर्थिक संबंधों के समानांतर होना चाहिए।’’

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