नयी दिल्ली, 14 जनवरी वाणिज्य एवं राजस्व विभाग देश में ई-कॉमर्स निर्यात केंद्रों के संचालन को सक्षम बनाने के लिए नागर विमानन सुरक्षा ब्यूरो (बीसीएएस) के साथ मिलकर एक मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) तैयार कर रहा है।
एक सरकारी अधिकारी ने यह जानकारी दी।
अधिकारी ने बताया कि वाणिज्य मंत्रालय ने इन केंद्रों की स्थापना के लिए डीएचएल, लेक्सशिप, गोग्लोकल, शिपरॉकेट और कार्गो सर्विस सेंटर के पांच आवेदनों को पहले ही मंजूरी दे दी है।
डीएचएल को बेंगलुरु का काम सौंपा गया है, जबकि गोग्लोकल का केंद्र मुंबई में बनेगा। शिपरॉकेट और कार्गो सर्विस सेंटर के केंद्र दिल्ली हवाई अड्डे और उसके आसपास बनेंगे।
अधिकारी ने कहा, ‘‘ राजस्व विभाग, बीसीएएस और वाणिज्य विभाग स्थान चिन्हित करने, इन केंद्रों के लिए आवश्यक सभी सुविधाओं तथा माल की सुरक्षा मंजूरी कैसे की जाए, जैसे मुद्दों पर काम कर रहे हैं। इन सभी मुद्दों पर वे एक एसओपी तैयार कर रहे हैं। इसे अंतिम रूप देने के बाद वे परिचालन शुरू कर देंगे।’’
केंद्रों में त्वरित सीमा एवं सुरक्षा मंजूरी की सुविधा होगी। इनके भीतर गुणवत्ता तथा प्रमाणन एजेंसियों का प्रावधान भी होगा। इसके अलावा आयात शुल्क का भुगतान किए बिना ई-कॉमर्स खेप और अस्वीकृत वस्तुओं को वापस करने के लिए आसान पुनः आयात नीति भी होगी।
यह कदम इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि भारत इस क्षेत्र में बढ़ते निर्यात अवसरों का लाभ उठाना चाहता है।
ई-कॉमर्स निर्यात 2030 तक 100 अरब अमेरिकी डॉलर से अधिक और आने वाले वर्षों में 200 से 250 अरब डॉलर तक पहुंचने की क्षमता रखता है।
अनुमान के अनुसार, वैश्विक ई-कॉमर्स निर्यात 2030 में 2,000 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है, जो अभी 800 अरब डॉलर है। इस माध्यम से भारत का निर्यात चीन के सालाना 250 अरब अमेरिकी डॉलर की तुलना में केवल पांच अरब अमेरिकी डॉलर है।
ई-कॉमर्स निर्यात में अग्रणी चीन, ई-कॉमर्स के लिए निर्यात केंद्रों में भी अग्रणी है। इससे चीन का निर्यात 2023 में उसके कुल व्यापारिक निर्यात का 6.4 प्रतिशत है।
विदेश व्यापार नीति-2023 में ई-कॉमर्स निर्यात केंद्र स्थापित करने की मंशा तथा रूपरेखा स्पष्ट की गई है।
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