देश की खबरें | आंध्र प्रदेश के गोदावरी क्षेत्र में संक्रांति उत्सव पर मुर्गों की लड़ाई और जुआ का बोलबाला

भीमावरम (आंध्र प्रदेश), 14 जनवरी आंध्र प्रदेश में हर बार के संक्रांति त्योहार की तरह राज्य के कई गांव और कस्बे इस बार भी सोमवार से शुरू हुए तीन दिवसीय समारोह के केंद्र बन गए हैं जिसमें मुर्गों की खूनी लड़ाई का विवादित खेल और इससे संबंधित जुआ शामिल है।

भोगी उत्सव के दिन से शुरू होने वाले इस वार्षिक कार्यक्रम में अच्छी तरह से पाले गए और प्रशिक्षित मुर्गों को एक-दूसरे के खिलाफ लड़ाया जाता है। अपने पैरों में बंधे स्केलपेल-धारदार चाकू वाले मुर्गे अपने मालिकों और सट्टेबाजों के अच्छे भाग्य को सुनिश्चित करने के लिए संघर्ष करते हैं।

मुर्गों की लड़ाई जुआ का प्रमुख आकर्षण हैं, विशेष रूप से गोदावरी क्षेत्र के जिलों में। हरे-भरे धान के खेतों और ताड़ के पेड़ों के पास सड़क के किनारे या मैदानों में लोग इसके लिए एकत्र होते हैं। अकेले इन क्षेत्रों में मुर्गों की लड़ाई के दौरान करोड़ों रुपये दांव पर लगाए जाते हैं।

स्थानीय नेताओं, राजनीतिक नेताओं के संरक्षण और पुलिस द्वारा इसे नजरअंदाज करने से मुर्गों की लड़ाई देखने हजारों लोगों की भीड़ उमड़ती है जहां खुलेआम शराब परोसी जाती है।

सट्टेबाजों की धूम और ऊंचे दांव के बीच, लड़ाई में शामिल दोनों मुर्गों का गंभीर चोट के कारण लहुलुहान होना तय होता है। अधिकतर मामले में इनकी मौत भी हो जाती है।

पश्चिम गोदावरी जिले के भीमावरम के पास एक गांव में विजयवाड़ा की ओर जाने वाली सड़क के किनारे मुर्गों की लड़ाई का एक बड़ा अस्थायी केंद्र बनाया गया है। इसमें एलसीडी स्क्रीन, कारों और दोपहिया वाहनों के लिए पार्किंग क्षेत्र, बैठने की गैलरी, सार्वजनिक सभा को संबोधित करने की प्रणाली, भोजन और पेय पदार्थ की अस्थायी दुकानें भी हैं।

मुर्गों की लड़ाई के घेरे से कुछ मीटर की दूरी पर, एक बड़ा वातानुकूलित तंबू बनाया है जहां पोकर (ताश के पत्तों का खेल) के लिए मेज और कुर्सियों की व्यवस्था है।

एक सॉफ्टवेयर अभियंता नित्तुरी वामशी कृष्णा ने ‘पीटीआई-’ से कहा, ‘‘संक्रांति पर हमारे लिए गोदावरी क्षेत्र में पूरी तरह से एक अलग अनुभव रहा। भीमावरम में मुर्गों की लड़ाई, जुए में पैसे का मुक्त प्रवाह और अभूतपूर्व आतिथ्य के विपरीत, संक्रांति हमारे लिए एक बहुत ही सरल त्योहार है जिसमें अधिक जश्न नहीं होता।’’

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