नयी दिल्ली, 28 नवंबर सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी कोल इंडिया लि. (सीआईएल) की बिजली क्षेत्र को कोयला आपूर्ति चालू वित्त वर्ष के पहले सात महीनों (अप्रैल-अक्टूबर) में 22.7 प्रतिशत बढ़कर 29.17 करोड़ टन पर पहुंच गई।
कोल इंडिया की अक्टूबर माह के लिए मंत्रिमंडल को दी गई संक्षिप्त रिपोर्ट से यह जानकारी मिली है। पिछले वित्त वर्ष की अप्रैल-अक्टूबर अवधि में बिजली क्षेत्र को कोयले की आपूर्ति 23.77 करोड़ टन रही थी।
पिछले महीने के दौरान भी कोल इंडिया की बिजली क्षेत्र को कोयले की आपूर्ति 21.7 प्रतिशत बढ़कर 4.76 करोड़ टन हो गई, जो एक साल पहले की समान अवधि में 3.91 करोड़ टन से अधिक थी।
सिंगरेनी कोलियरीज कंपनी लिमिटेड (एससीसीएल) द्वारा इस क्षेत्र को सात महीनों में ईंधन आपूर्ति 66 प्रतिशत बढ़कर 3.06 करोड़ टन हो गई, जबकि एक साल पहले की इसी अवधि में यह 1.84 करोड़ टन थी।
एससीसीएल द्वारा बिजली क्षेत्र को कोयले की आपूर्ति पिछले महीने अक्टूबर, 2020 के 33.2 लाख टन से 41.7 प्रतिशत बढ़कर 47.1 लाख टन हो गई।
कोल इंडिया का घरेलू कोयला उत्पादन में 80 प्रतिशत से अधिक का योगदान है।
कोल इंडिया का 2023-24 तक एक अरब टन कोयला उत्पादन का लक्ष्य है। कंपनी 2023-24 तक कोयला निकासी, खोज और स्वच्छ कोयला प्रौद्योगिकियों से संबंधित परियोजनाओं में 1.22 लाख करोड़ रुपये से अधिक का निवेश करेगी।
इस प्रस्तावित खर्च में से कोल इंडिया ने 2023-24 तक कोयला निकासी पर 32,696 करोड़ रुपये, खदान के बुनियादी ढांचे पर 25,117 करोड़ रुपये और परियोजना विकास पर 29,461 करोड़ रुपये का निवेश करने की योजना बनाई है।
कंपनी विविधीकरण और स्वच्छ कोयला प्रौद्योगिकियों पर 32,199 करोड़ रुपये, सामाजिक ढांचे पर 1,495 करोड़ रुपये और खोज कार्यों पर 1,893 करोड़ रुपये का निवेश करेगी।
कुल 500 परियोजनाओं के लिए 1.22 लाख करोड़ रुपये का निवेश किया जाएगा।
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