नयी दिल्ली, 20 मार्च केन्द्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल द्वारा बिना हथियार वाली ड्यूटी करने के लिए प्रायोगिक तौर पर करीब 1,700 पूर्व सैनिकों की भर्ती को अर्द्धसैनिक बल का कुछ खास समर्थन नहीं मिल रहा है और उसने केन्द्रीय गृह मंत्रालय से इन सभी के कांट्रैक्ट समाप्त करने का अनुरोध किया है।
आधिकारिक सूत्रों ने इस आशय की जानकारी दी।
केन्द्रीय गृह मंत्रालय ने पिछले साल सीआईएसएफ को कहा था कि वह ताप बिजली घरों और कोयला उत्पादन इकाइयों सहित देश में अपनी 13 सुरक्षा इकाइयों में ‘नॉन कोर’ ड्यूटी के लिए 2,000 पूर्व सैनिकों की भर्ती पर विचार करे।
इन पूर्व सैनिकों की भर्ती संविदा पर एक साल के लिए की जानी थी, उसके बाद इस कांट्रैक्ट को एक-एक साल के लिए दो बार बढ़ाया जा सकता था।
इस प्रायोगिक भर्ती का लक्ष्य पूर्व सैनिकों की ‘मदद और पुनर्वास’ तथा सुरक्षा के क्षेत्र में उनके अनुभवों का लाभ लेना था।
सीआईएसएफ की मुख्य जिम्मेदारी असैन्य हवाई अड्डों, परमाणु संयंत्रों और एरोस्पेस प्रतिष्ठानों के साथ-साथ सरकारी और निजी क्षेत्र की विभिन्न महत्वपूर्ण प्रतिष्ठानों की सुरक्षा करना है। अर्द्धसैनिक बल ने मार्च, 2021 में विज्ञापन जारी कर उपनिरीक्षक (एसआई), सहायक उपनिरीक्षक (एएसआई) हेड कांस्टेबल और कांस्टेबल रैंक के सेना के पूर्व कर्मियों के लिए 2,000 रिक्तियां निकाली थीं। इसके लिए अधिकतम आयु सीमा 50 साल रखी गयी थी।
इसके लिए वेतन एसआई के लिए 40,000 रुपये प्रतिमाह और कांस्टेबल के लिए 25,000 रुपये प्रतिमाह तय किया गया था।
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि सीआईएसएफ ने करीब 1,700 पूर्व सैनिकों की भर्ती भी की और उनकी विभिन्न जगहों पर तैनाती भी की।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘‘यह प्रयोग सफल नहीं रहा। बल ने हाल ही में केन्द्रीय गृह मंत्रालय को पत्र लिखकर इसे समाप्त करने का अनुरोध किया है।’’
(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)