Chhattisgarh Legislative Assembly: CM Bhupesh Baghel फिर बने चैंपियन, बीजेपी का अविश्वास प्रस्ताव ध्वनिमत से नामंजूर
CM भूपेश बघेल (Photo Credits: Facebook)

रायपुर, 28 जुलाई : छत्तीसगढ़ विधानसभा में कांग्रेस-नीत भूपेश बघेल सरकार के खिलाफ मुख्य विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी (BJP) द्वारा लाया गया अविश्वास प्रस्ताव लगभग 13 घंटे की चर्चा के बाद ध्वनिमत से नामंजूर हो गया. विधानसभा में बुधवार को अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान विपक्ष के सदस्यों ने कांग्रेस सरकार पर उसकी ‘‘अंदरूनी लड़ाई’’, कथित भ्रष्टाचार तथा चुनावी वादों को पूरा न करने को लेकर निशाना साधा. वहीं, सत्ताधारी दल ने आरोपों को नकारते हुए दावा किया कि विपक्ष किसी ठोस मुद्दे के साथ अविश्वास प्रस्ताव को पेश करने में विफल रहा है. भाजपा ने अविश्वास प्रस्ताव पर 13 घंटे की बहस के दौरान राज्य सरकार के खिलाफ 84 बिंदुओं का आरोप पत्र पेश किया. देर रात करीब एक बजकर 17 मिनट पर अविश्वास प्रस्ताव ध्वनिमत से नामंजूर कर दिया गया. अविश्वास प्रस्ताव में लगाए गए विपक्ष के आरोपों को झूठा बताते हुए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि उनकी सरकार लोगों को केंद्र में रखकर योजना बना रही है तथा स्वास्थ्य, शिक्षा, रोज़गार, सुपोषण को ध्यान में रखकर काम कर रही है. इस दौरान मुख्यमंत्री ने भाजपा पर बदले की राजनीति करने का आरोप भी लगाया.

बघेल ने कहा, ‘‘ मैं केंद्रीय (जांच) एजेंसियों का सम्मान करता हूं लेकिन क्या होगा यदि वे पक्षपातपूर्ण तरीके से काम करें? नेशनल हेराल्ड मामले में आपकी (भाजपा) मंशा सिर्फ (कांग्रेस नेताओं को) परेशान करने की है.’’ उन्होंने कहा, ‘‘ मामला दर्ज होने के बावजूद ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) ने नागरिक आपूर्ति घोटाले (छत्तीसगढ़ में रमन सिंह सरकार के दौरान उजागर) में कार्रवाई क्यों नहीं की? पिछली सरकार के दौरान चिटफंड कंपनियों द्वारा छत्तीसगढ़ के लोगों से पांच हजार करोड़ रुपये से अधिक की लूट की गई थी. ईडी इसे धनशोधन का मामला मानकर इसकी जांच क्यों नहीं करता है? मैंने प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री को पत्र लिखकर चिटफंड मामले में कार्रवाई की मांग की है.’’

मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘ छत्तीसगढ़ सरकार बदले की राजनीति नहीं करती है. यह दिल्ली (केंद्र में भाजपा सरकार) सरकार है जो बदले की राजनीति कर रही है और (नेताओं की) खरीद-फरोख्त में लिप्त है. ’’ धर्मांतरण के मामलों में बढ़ोतरी होने और कांग्रेस सरकार द्वारा इस संबंध में कोई कार्रवाई नहीं करने के भाजपा के आरोपों का जवाब देते हुए बघेल ने कहा कि राज्य में 95 फीसदी गिरजाघर पिछली भाजपा सरकार के दौरान बनाए गए. उन्होंने कहा, ‘‘ भाजपा को जांच करनी चाहिए कि उसके 15 साल के शासन (2003-2018) के दौरान कितने गिरजाघर बनाए गए. मैं दावा कर सकता हूं कि 95 फीसदी गिरजाघर उन्हीं के शासनकाल में बनाए गए थे. भाजपा वर्ष 2012 में राज्य में धर्मांतरण विरोधी विधेयक लेकर आई थी. यह इसलिए लाया गया क्योंकि उस समय धर्मांतरण हो रहे थे.’’

बघेल ने यह भी कहा कि भाजपा 15 वर्षों तक सत्ता में रहने के बावजूद छत्तीसगढ़ की आत्मा, लोगों की इच्छाओं और हमारे पूर्वजों के सपनों को समझने में विफल रही है. उन्होंने कहा कि जब कांग्रेस (वर्ष 2018) छत्तीसगढ़ में सत्ता में आई थी, तब हमें विरासत में 14 नक्सल प्रभावित जिले, 18 प्रतिशत झुग्गियों और 40 प्रतिशत गरीबी सहित कई समस्याएं मिली थीं. मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार 'विश्वास, विकास और सुरक्षा' की त्रिस्तरीय रणनीति के साथ काम कर रही है. उन्होंने दावा किया कि नक्सली दबाव में हैं और छत्तीसगढ़ से पड़ोसी राज्यों में जा रहे हैं. उन्होंने कहा, ''राज्य सरकार 'गढ़बो नवा छत्तीसगढ़' के विचार के साथ काम कर रही है. राज्य सरकार ने किसानों और लोगों की कल्याणकारी योजनाओं के लिए ऋण लिया है.'' यह भी पढ़ें : कांग्रेस राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का अपमान कर रही: स्मृति ईरानी

बघेल ने कहा, ''अपने 15 साल के शासन में वे (भाजपा) एक भी बेहतर अस्पताल और स्कूल नहीं बना सके. कोविड-19 वैश्विक महामारी की चुनौतियों का सामना करने के बावजूद, हमने स्वास्थ्य सुविधाओं और शिक्षा में सुधार के लिए कई कदम उठाए हैं.'' इससे पहले चर्चा के दौरान विपक्ष के नेता धरमलाल कौशिक ने कहा कि कांग्रेस सरकार खोखले वादों की सरकार बन गई है और लोगों का सरकार पर से विश्वास उठ गया है. कौशिक ने कहा कि कांग्रेस सरकार जन घोषणा पत्र (पार्टी के चुनाव घोषणापत्र) में किए गए अपने वादों को पूरा करने में विफल रही और यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि घोषणापत्र के संयोजक (मंत्री टीएस सिंहदेव) सदन में अनुपस्थित हैं. नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि राज्य में एक भी विभाग ऐसा नहीं है, जिसमें भ्रष्टाचार नहीं हो रहा हो. जब एक मंत्री को अपनी सरकार पर विश्वास नहीं है, तब जनता को सरकार पर कैसे विश्वास होगा?

उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने किसानों का कर्ज माफ करने के बड़े-बड़े वादे किए थे, लेकिन अब भी 91 हजार किसान ऐसे हैं जिन्हें अपना कर्ज चुकाने के लिए नोटिस मिल रहे हैं. कौशिक ने कहा कि तुष्टीकरण की राजनीति राज्य का माहौल खराब कर रही है. राज्य में कानून-व्यवस्था की स्थिति पूरी तरह चरमरा गई है. चर्चा के बाद विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव को सदन में ध्वनिमत से नामंजूर कर दिया गया. बाद में विधानसभा अध्यक्ष चरण दास महंत ने सदन की कार्यवाही को अनिश्चित काल तक के लिए स्थगित कर दिया. महंत ने कहा कि विधानसभा का शीतकालीन सत्र दिसंबर माह के दूसरे-तीसरे सप्ताह में होने की संभावना है.