कोलकाता: केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) ने पश्चिम बंगाल (West bengal) में पिछले साल अप्रैल में विधानसभा चुनाव (Assembly Election) के बाद हुई कथित हिंसा (Violence) पर एक स्थिति रिपोर्ट कलकत्ता उच्च न्यायालय (Calcutta High Court) को सौंप दी है. सीबीआई ने कहा कि राज्य पुलिस (Police) ने उच्च न्यायालय की पांच न्यायाधीशों की पीठ के निर्देशानुसार उसे चुनाव बाद हिंसा से संबंधित 64 मामले भेजे थे, जिसने एजेंसी को हत्या (Murder), बलात्कार (Rape) और बलात्कार का प्रयास जैसे गंभीर अपराधों की जांच का निर्देश दिया था जबकि चुनाव बाद हिंसा से संबंधित अन्य मामलों की जांच विशेष दल को दी गई थी. इस एसआईटी में पश्चिम बंगाल काडर के तीन वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी शामिल हैं. West Bengal: ममता सरकार को सुप्रीम कोर्ट से झटका, सुवेंदु अधिकारी को गिरफ्तारी से सुरक्षा देने के खिलाफ दायर याचिका खारिज
सीबीआई ने सोमवार को मुख्य न्यायाधीश प्रकाश श्रीवास्तव की अध्यक्षता वाली खंडपीठ को सौंपी गई स्थिति रिपोर्ट में कहा है कि राज्य पुलिस द्वारा उसे भेजे गए 64 मामलों में से 39 कथित अपराधों की जांच सीबीआई कर रही है जबकि चार मामले प्रक्रियाधीन हैं.
जांच एजेंसी ने कहा कि 21 मामलों को उनकी अपराध प्रकृति के आधार पर वापस राज्य पुलिस को भेजा गया है क्योंकि 19 अगस्त 2021 को पीठ ने सीबीआई को केवल चुनाव हिंसा बाद हुई हत्या, बलात्कार और बलात्कार के प्रयास जैसे अपराधों किी जांच की निर्देश दिए थे.
सीबीआई ने कहा कि स्थिति रिपोर्ट सौंपे जाने के समय एजेंसी ने कथित चुनाव बाद हिंसा के संबंध में 50 नियमित मामले दर्ज किए हैं और एक मामले में शुरुआती जांच जारी है. उसने कहा कि सीबीआई ने पहले ही 10 मामलों में आरोप-पत्र दाखिल कर दिया है जबकि बाकी मामलों में प्रगति जारी है.
खंडपीठ ने राज्य सरकार को अगली सुनवाई 24 जनवरी को उन लोगों की वापसी के संबंध में एक रिपोर्ट हलफनामे के तौर पर जमा करने का निर्देश दिया है जो कथित तौर पर चुनाव बाद हुई हिंसा के चलते राजनीतिकि प्रतिशोध के कारण घर छोड़कर चले गए थे.
तत्कालीन कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की पीठ ने 19 अगस्त, 2021 को पश्चिम बंगाल में चुनाव के बाद की हिंसा के दौरान हत्या और बलात्कार या बलात्कार के प्रयास के सभी आरोपों की सीबीआई जांच और पश्चिम बंगाल कैडर के तीन आईपीएस अधिकारियों के साथ एसआईटी के गठन का आदेश दिया था जो अन्य सभी मामलों की जांच करेंगे.
पीठ ने यह भी निर्देश दिया था कि दोनों जांच की निगरानी उच्च न्यायालय ही करेगा. उच्च न्यायालय ने कई जनहित याचिकाओं की सुनवाई की थी, जिसमें 2021 के विधानसभा चुनावों के बाद कथित हिंसा की घटनाओं की स्वतंत्र जांच का अनुरोध किया गया था.
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