मुंबई,2 8 अक्टूबर महाराष्ट्र सरकार ने बृहस्पतिवार को बंबई उच्च न्यायालय से कहा कि मामले के अदालत में लंबित रहने के बावजूद, केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) भ्रष्टाचार में कथित संलिप्तता को लेकर राज्य के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख के खिलाफ एजेंसी की जांच के सिलसिले में राज्य के अधिकारियों को समन जारी कर रही है।
महाराष्ट्र सरकार की ओर से अदालत में पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता डेरियस खम्बात ने कहा कि सीबीआई राज्य पुलिस और सरकारी अधिकारियों का मनोबल गिराने के लिए ऐसा कर रही है।
उन्होंने कहा, ‘‘वे (सीबीआई) मेरे अधिकारियों को समन भेजना जारी रखे हुए हैं। यह पुलिस बल और मेरे (राज्य के) अधिकारियों का मनोबल गिराने की कोशिश है। ये पुलिस अधिकारी हैं। कोई कठोर कार्रवाई नहीं की जाए। हमें संरक्षण की जरूरत है। ’’
उल्लेखनीय है कि राज्य सरकार ने एक याचिका दायर कर महाराष्ट्र के मुख्य सचिव सीताराम कुंते और पुलिस महानिदेशक संजय पांडे को समन जारी किये जाने को चुनौती दी है। दरअसल, कुंते और पांडे से देशमुख से जुड़े सवालों का जवाब देने के लिए नयी दिल्ली में केंद्रीय एजेंसी आने को कहा गया था।
देशमुख ने इस साल अप्रैल में महाराष्ट्र मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया था।
महाराष्ट्र सरकार ने भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के अधिकारी सुबोध जायसवाल को सीबीआई निदेशक नियुक्त करने पर रोक लगाने की भी मांग की थी। महाराष्ट्र कैडर के 1985 बैच के आईपीएस अधिकारी जायसवाल राज्य के डीजीपी रह चुके हें और उन्हें इस साल मई में सीबीआई निदेशक नियुक्त किया गया था।
खम्बात ने कहा कि पांडे को केंद्रीय एजेंसी ने तलब किया , जबकि वह मामले से संबद्ध नहीं हैं। उन्होंने कहा, ‘‘हर किसी को समन जारी किया जा रहा, डीजीपी (पांडे) से इसकी शुरूआत की गई, जो संबद्ध समय पर वहां थे भी नहीं। मुख्य सचिव को भी समन जारी किया गया।’’
सीबीआई की ओर से पेश हुए अतिरिक्त सॉलीसीटर जनरल अमन लेखी ने अदालत से कहा कि इस साल सितंबर में कुंते, पांडे व कुछ अन्य को जारी समन निष्प्रभावी हो गये हैं। उन्होंने कहा कि एजेंसी उन्हें उपस्थित होने के लिए नया आदेश जारी करेगी, लेकिन सुनवाई की अगली तारीख 18 नवंबर तक उन्हें पूछताछ के लिए नहीं बुलाया जाएगा।
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