नयी दिल्ली, 15 जनवरी उच्चतम न्यायालय ने भारतीय चिकित्सा संघ (आईएमए) के पूर्व अध्यक्ष आर. वी. अशोकन को बड़ी राहत देते हुए समाचार एजेंसी ‘पीटीआई’ को पिछले साल अप्रैल में दिए साक्षात्कार के दौरान शीर्ष अदालत पर की गई उनकी टिप्पणियों को लेकर उनके खिलाफ शुरू की गई कार्यवाही बुधवार को बंद कर दी।
न्यायमूर्ति अभय एस ओका और न्यायमूर्ति उज्ज्वल भुइयां की पीठ ने अशोकन द्वारा बिना शर्त माफी मांगने संबंधी हलफनामे का अवलोकन किया।
पीठ ने कहा, ‘‘माफी मांग लेने और हलफनामे को देखते हुए... आगे कोई कार्रवाई करने पर विचार नहीं किया जा रहा है।’’
तत्कालीन आईएमए अध्यक्ष अशोकन ने पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड के भ्रामक विज्ञापन मामले के बारे में पूछे गए सवालों के जवाब देते हुए विवादित टिप्पणी की थी, जो विभिन्न प्रकाशनों में प्रकाशित हुई थी।
अशोकन ने ‘पीटीआई’ के कार्यक्रम ‘‘ऐट-4 पार्लियामेंट स्ट्रीट’’ के लिए संपादकों के साथ बातचीत में 29 अप्रैल, 2024 को कहा था कि यह ‘‘दुर्भाग्यपूर्ण’’ है कि शीर्ष अदालत ने चिकित्सा निकाय और निजी चिकित्सकों की कुछ प्रथाओं की भी आलोचना की।
अशोकन पिछले साल 23 अप्रैल को शीर्ष अदालत में हुई सुनवाई के दौरान पीठ की उन टिप्पणियों से संबंधित एक सवाल का जवाब दे रहे थे कि पतंजलि पर एक उंगली उठाते हुए बाकी चार उंगलियां आईएमए की ओर हैं।
शीर्ष अदालत 2022 में आईएमए द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें कोविड टीकाकरण अभियान और आधुनिक चिकित्सा पद्धति को बदनाम करने का पतंजलि पर आरोप लगाया गया था।
मई 2024 में मामले की सुनवाई के लिए निर्धारित तिथि से एक दिन पहले न्यायालय ने अशोकन की टिप्पणियों पर नाराजगी व्यक्त करते हुए पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड द्वारा दायर उस याचिका पर उनकी प्रतिक्रिया मांगी, जिसमें शीर्ष अदालत से तत्कालीन आईएमए अध्यक्ष के बयानों का न्यायिक संज्ञान लेने का आग्रह किया गया था।
अशोकन की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता पी एस पटवालिया ने बुधवार को सुनवाई के दौरान कहा कि उनके मुवक्किल ने शीर्ष अदालत में माफी मांगते हुए हलफनामा दायर किया है।
उन्होंने कहा, ‘‘मैंने (अशोकन ने) इसे समाचार पत्रों में प्रकाशित किया है। मैंने इसे वेबसाइट पर प्रकाशित किया है। यह आईएमए न्यूजलेटर पर भी है और मैंने समाचार पत्रों को भी रिकॉर्ड में रखा है।’’
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