जरुरी जानकारी | कोयला क्षेत्र में निजी कंपनियों को लाना समय की जरूरत: महानदी कोलफील्ड्स के प्रमुख

भुवनेश्वर, तीन जुलाई महानदी कोलफील्ड्स लिमिटेड (एमसीएल) के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक बी.एन. शुक्ला ने कोयला क्षेत्र में निजी कंपनियों के प्रवेश को समय की जरूरत बताया। उन्होंने कहा कि इससे विदेशी मुद्रा खर्च रोकने में मदद मिलेगी। साथ ही क्षेत्र में उदारीकरण आगे बढ़ाने से सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी पर कोई असर नहीं पड़ेगा।

एमसीएल, कोल इंडिया लिमिटेड की अनुषंगी कंपनी है। उल्लेखनीय है कि कोयला क्षेत्र में निजी क्षेत्र की कंपनियों को वाणिज्यिक खनन की अनुमति देने के विरोध में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ समर्थित भारतीय मजदूर संघ समेत कुल पांच श्रमिक यूनियनों ने तीन दिन की हड़ताल का आहवान किया है। यह हड़ताल बृहस्पतिवार से शुरू हुई और शुक्रवार को दूसरे दिन भी जारी रही।

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कर्मचारियों से परिचालन दोबारा शुरू करने की अपील करते हुए शुक्ला ने कहा, ‘‘जब देश कोविड-19 महामारी और पड़ोसी मुल्क से खतरे का सामना कर रहा है। ऐसे समय में हमें देश हित में एकजुट रहने की जरूरत है।’’

एमसीएल ने कहा कि 2023-24 तक कोल इंडिया के लिए एक अरब टन कोयला उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है। निजी कंपनियां देश की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए कोल इंडिया के इस लक्ष्य को पाने में सहायक होंगी।

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शुक्ला ने कहा, ‘‘देश की ऊर्जा मांग लगातार बढ़ रही है। ऐसे में उत्पादन को बढ़ाने के लिए कोयला क्षेत्र को निजी कंपनियों के लिए खोलना समय की जरूरत है।’’

उन्होंने कहा कि निजी क्षेत्र को जिन कोयला ब्लॉकों की पेशकश की गयी है उन्हें लेने में किसी सरकारी कंपनी ने रुचि नहीं दिखायी क्योंकि वहां खनन करना काफी मुश्किल है। देश अभी 25 करोड़ टन कोयले का आयात करता है। इसमें 4 से पांच करोड़ टन कोकिंग कोयला भी है।

शुक्ला ने कहा कि आयात पर एक तरफ तो हम करीब डेढ़ लाख करोड़ रुपये की विदेशी मुद्रा खर्च कर रहे हैं। दूसरी तरफ इससे हम स्थानीय स्तर पर रोजगार, रॉयल्टी इत्यादि का नुकसान उठा रहे हैं।

उन्होंने कहा कि कोयला मंत्रालय ने कोल इंडिया के लिए 2023-24 तक एक अरब टन कोयला उत्पादन का लक्ष्य रखा है। साथ ही स्पष्ट किया है कि उसका कोल इंडिया या उसकी किसी अनुषंगी के निजीकरण की कोई योजना नही है। ना ही सरकार कोल इंडिया को आवंटित किसी कोयला क्षेत्र को निजी कोयला कंपनी को देने जा रही है। ऐसे में इस हड़ताल का औचित्य समझ नहीं आता है।

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