2022 में दुनिया भर में करीब आधे जंगलों की सफाई का जिम्मेदार अकेला ब्राजील रहा है. एक रिसर्च ने इसकी पुष्टि की है. क्या राष्ट्रपति लूला दा सिल्वा, तबाही से अमेजन के वर्षावन को उबारने का अपना वादा निभा सकेंगे?ब्राजील के पूर्व राष्ट्रपति जायर बोलसोनारो की चार साल की सत्ता के दौरान अमेजन के विशाल इलाके खनन, पशुओं के बाड़ों, और सोयाबीन की खेती के लिए काट डाले गए. अकेले 2022 में, जो बोलसोनारो का राष्ट्रपति के रूप में आखिरी साल था, उस दौरान करीब 20 लाख हेक्टेयर (50 लाख एकड़) जंगल खत्म हो गया.
2019 से 2022 के अपने कार्यकाल के दौरान बोलसोनारो के प्रशासन ने वनों की कटाई से जुड़े नियम कायदों और पाबंदियों को कमजोर किया, पर्यावरण से जुड़े अपराधों की निगरानी करने वाली एजेंसियों के बजट कम कर दिए और मूल निवासियों की जमीन पर जंगल को तबाह करने वाले खनन की इजाजत देने वाले कानूनों का रास्ता साफ किया. इसकी कीमत चुकानी पड़ी.
ब्राजील ने भारी मात्रा में पेड़ गंवाए
2015 में ब्राजील लगभग एक चौथाई से ज्यादा उष्णकटिबंधियों प्राथमिक वनों की कटाई का जिम्मेदार था. ये दुनिया के सबसे पुराने वन हैं जो अनछुए रहते आये थे. शोध संगठन वर्ल्ड रिसोर्सेज इन्स्टीट्यूट (डब्लूआरआई) से प्रकाशित नयी ग्लोबल फॉरेस्ट वॉच रिपोर्ट के मुताबिक ये आंकड़ा 2022 में बढ़कर 43 फीसदी हो गया. रिपोर्ट के मुताबिक 2005 से देश ने आग की घटनाओं से अलग हालात में सबसे ज्यादा मात्रा में पेड़ गंवाए.
अब ब्राजील में नये नेता की हुकूमत है. जनवरी 2023 में जब राष्ट्रपति लुइज इनासियो लूला दा सिल्वा ने कार्यभार संभाला तो उन्होंने 2030 तक अमेजन में अवैध कटाई को रोकने का वादा किया था.
ब्राजील के पर्यावरण वैज्ञानिक और इंडियाना यूनिवर्सिटी ब्लूमिंगटन में पोस्टडॉक के जरिए इंसान और कुदरत के बीच अंतःक्रियाओं का अध्ययन कर रहे पाउलो मसोका का कहना है कि यह एक महत्वाकांक्षी लक्ष्य है.
उन्होंने डीडब्ल्यू से कहा, "लोग जंगलों को साफ कर रहे हैं, सट्टा लगा रहे हैं और उससे पैसा कमाना चाहते हैं और बदकिस्मती से आज भी हमें वन संसाधनों की परवाह नहीं है."
पिछले साल ब्राजील सबसे ज्यादा पेड़ गंवाने वाला देश बन गया था. डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो दूसरे और बोलीविया तीसरे नंबर पर थे. दुनिया भर में जंगलों की कटाई एक बड़ी समस्या बनी हुई है.
2022 में उष्णकटिबंधीय प्राथमिक वनों में ट्री कवर लॉस 10 फीसदी बढ़कर 41 लाख हेक्टेयर हो गया था. जीएफडब्लू की रिपोर्ट में इस्तेमाल मैरीलैंड यूनिवर्सिटी के डाटा के मुताबिक यह प्रति मिनट 11 फुटबॉल मैदानों के बराबर का इलाका है.
जलवायु पर विनाशकारी प्रभाव
जंगल कार्बन सिंक होते हैं जो हर साल जितनी कार्बन डाइऑक्साइड (सीओटू) बाहर निकालते हैं उससे दोगुनी मात्रा में सोख लेते हैं.
तमाम जंगलों पर डब्लूआरआई रिपोर्टें बनाता है लेकिन वो खासतौर पर ट्रॉपिकल वर्षावनों पर फोकस करता है क्योंकि सबसे ज्यादा खतरे में वही हैं. जलवायु लक्ष्यों तक पहुंचने के लिए भी वे अनिवार्य हैं क्योंकि वायुमंडल से दूसरे किस्म के जंगलों के मुकाबले वो ज्यादा सीओटू स्टोर करते हैं. नष्ट होने पर वो और ज्यादा सीओटू निकाल देते हैं.
ट्रॉपिकल इलाकों में अकेले 2022 के दौरान जंगलों के नुकसान से 2.7 गीगाटन सीओटू उत्सर्जन हुआ था. रिपोर्ट के लेखकों के मुताबिक यह दुनिया की सबसे ज्यादा आबादी वाले देश भारत में जीवाश्म ईंधन से होने वाले उत्सर्जनों के बराबर था.
जीएफडब्लू निदेशक मिकाइला वाइसे ने एक प्रेस वार्ता में रिपोर्ट के नतीजों की घोषणा में कहा, "सदी की शुरुआत से हमने दुनिया के सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण वन ईकोसिस्टमों की तबाही देखी है. जबकि इस रुझान को पलटने के लिए वर्षों से कोशिशें भी होती रही हैं."
वो कहती हैं, "ये डाटा दिखाता है कि हम बड़ी तेजी से, जलवायु परिवर्तन का मुकाबला करने वाले, जैवविविधता की हिफाजत करने वाले और लाखों करोड़ों लोगों की सेहत और रोजीरोटी में मददगार अपने सबसे असरदार औजारों में से एक को गंवाते जा रहे हैं."
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