बेंगलुरु, 25 नवंबर : कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई (Basavaraj Bommai) ने राज्य की बसों पर महाराष्ट्र समर्थक नारे लिखे जाने की कथित घटनाओं की निंदा की है. बोम्मई ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली सरकार से ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए तत्काल कदम उठाने की अपील भी की है. बोम्मई ने शुक्रवार को कहा कि ऐसी घटनाएं राज्यों के बीच विभाजन पैदा करेंगी और इसलिए महाराष्ट्र को इस संबंध में तेजी से कार्रवाई करनी चाहिए. पुणे से प्राप्त एक रिपोर्ट में कहा गया है कि मराठी समर्थक एक संगठन के कार्यकर्ताओं के एक समूह ने कर्नाटक के स्वामित्व वाली बसों पर कथित तौर पर काली स्याही से ‘‘जय महाराष्ट्र’’ जैसे नारे पेंट किये और बोम्मई के खिलाफ नारे लगाए. बेलगावी को लेकर अंतर-राज्यीय सीमा विवाद के चलते दोनों राज्यों के नेताओं के बीच जारी वाकयुद्ध के बीच यह कथित घटनाएं सामने आई हैं.
कर्नाटक के मुख्यमंत्री ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘ हमारा भारत देश राज्यों का संघ है. हर राज्य के अपने अधिकार हैं. इन राज्यों का गठन राज्य पुनर्गठन अधिनियम के तहत किया गया था. कानून बहुत स्पष्ट है और यह संबंधित सरकार का कर्तव्य है कि वह शांति, कानून और व्यवस्था बनाए रखे तथा यह देखे कि राज्यों के बीच शांति और सौहार्द्र की भावना बनी रहे.’’ बसों पर महाराष्ट्र समर्थक नारे लिखे जाने की घटनाओं को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में बोम्मई ने कहा, ‘‘ अगर कोई ऐसा कर रहा है (गाड़ियों को रंग रहा है), तो मैं इसकी निंदा करता हूं और महाराष्ट्र सरकार से तत्काल कार्रवाई करने और इसे रोकने का आग्रह करता हूं. ’’ यह भी पढ़ें : सीबीआई ने दिल्ली आबकारी नीति घोटाला मामले में सात लोगों के विरूद्ध आरोप पत्र दाखिल किया: अधिकारी
उन्होंने कहा, ‘‘ यह राज्यों के बीच विभाजन पैदा करेगा. इसलिए, महाराष्ट्र सरकार को तेजी से कार्रवाई करनी चाहिए, मैं विशेष रूप से उपमुख्यमंत्री एवं राज्य के गृह मंत्री देवेंद्र फडणवीस से तत्काल कार्रवाई करने का आग्रह करता हूं. ’’ उन्होंने कहा, ‘‘हम कानून का पालन करने वाले लोग हैं और हम अपने अधिकार क्षेत्र के भीतर ही हैं.’’ बोम्मई ने कहा कि महाराष्ट्र ने 2004 में उच्चतम न्यायालय में मामला दायर किया था और कर्नाटक कानूनी लड़ाई लड़ रहा है, जो भविष्य में भी जारी रहेगी. उन्होंने कहा, ‘‘ हमें विश्वास है कि न्याय हमारे साथ है. हम पूरी ताकत से लड़ेंगे. हम अपनी सीमाओं और अपने लोगों की रक्षा करेंगे. ’’ गौरतलब है कि महाराष्ट्र और कर्नाटक के बीच सीमा विवाद 1960 के दशक से चला आ रहा है. यह मामला उच्चतम न्यायालय में लंबित है.