इंदौर (मध्यप्रदेश), 13 जुलाई जिला जेल प्रशासन ने सोमवार को एक स्थानीय अदालत को बताया कि पान मसाला और तंबाकू उत्पादों के अवैध कारोबार के जरिये 300 करोड़ रुपये से ज्यादा की कथित जीएसटी चोरी के मामले के मुख्य आरोपी का रक्तचाप और शर्करा स्तर न्यायिक हिरासत के दौरान बढ़ा पाया गया है।
जेल प्रशासन ने प्रथम श्रेणी न्यायिक मजिस्ट्रेट बृजेश सिंह के सामने मामले के मुख्य आरोपी व स्थानीय उद्योगपति किशोर वाधवानी की मेडिकल रिपोर्ट पेश करते हुए यह बात कही।
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रिपोर्ट में अदालत को बताया गया कि वाधवानी का रक्तचाप और शर्करा स्तर बढ़ा होने के कारण जेल चिकित्सालय में लक्षणों के आधार पर उसका इलाज किया जा रहा है।
वाधवानी के वकील ने अदालत से गुहार की कि उसके मुवक्किल को बेहतर इलाज के लिये शहर के किसी निजी अस्पताल में भर्ती कराये जाने की अनुमति दी जाये और इस उपचार का खर्च वह स्वयं उठाने को तैयार है।
जीएसटी चोरी की जांच कर रहे वस्तु एवं सेवा कर आसूचना महानिदेशालय (डीजीजीआई) की ओर से इस गुहार पर अदालत में आपत्ति जताते हुए कहा गया कि वाधवानी का जेल मैन्युअल के मुताबिक जिला कारागार में ही इलाज कराया जाये।
अदालत ने दोनों पक्षों के तर्क सुनने के बाद आदेश दिया कि वाधवानी के पुराने मेडिकल दस्तावेज व दवा के पर्चे जिला जेल भिजवाये जायें और उसे वहां जेल मैन्युअल के मुताबिक उचित उपचार मुहैया कराया जाये।
इसके साथ ही अदालत ने वाधवानी समेत जीएसटी चोरी के पांचों आरोपियों की न्यायिक हिरासत की अवधि 27 जुलाई तक बढ़ा दी। इनमें इंदौर में अपने परिवार समेत शरण लेने वाला पाकिस्तानी नागरिक संजय माटा और तीन स्थानीय व्यक्ति-विजय कुमार नायर, अशोक कुमार डागा और अमित कुमार बोथरा शामिल हैं।
डीजीजीआई की ओर से अदालत में पेश दस्तावेजों में वाधवानी को मामले का "मुख्य षड़यंत्रकर्ता" और कर चोरी की अवैध कमाई का "प्रमुख लाभार्थी" बताया गया है। मामले में गिरफ्तार लोगों पर आरोप है कि उन्होंने साजिश के तहत जाली दस्तावेज बनाकर पान मसाला और तंबाकू उत्पादों के अवैध कारोबार के जरिये 300 करोड़ रुपये से ज्यादा का जीएसटी चुराया है।
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