लखनऊ: विकास दुबे एनकाउंटर (Vikas Dubey Encounter) मामले की न्यायिक जांच को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में एक याचिका दायर की गई थी. जिस याचिका को लखनऊ बेंच ने खारिज कर दी है. यह याचिका नंदिता ठाकुर की तरफ से दायर की थी. याचिकाकर्ता ने मांग की थी कि कोर्ट आयोग बनाकर सिटिंग जज या रिटायर्ड जज से मामले की न्यायिक जांच कराए. लेकिन कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार की तरफ से पेश वकील की दलील सुनने के बाद नंदिता ठाकुर की याचिका को खारिज कर दिया. क्योंकि विकास दुबे एनकाउंटर मामले में उत्तर प्रदेश सरकार की तरफ से जांच के लिए पहले ही टीम का गठन किया जा चुका है.
सरकार की तरफ से कोर्ट को अवगत कराया गया इस मामले की जांच के लिए वारिष्ठ आईएएस आधिकारी की अध्यक्षता में एसआईटी का गठन हुआ है. ऐसे में किसी और टीम के गठन की जरूरत नही है. कोर्ट ने दोनों पक्षों की बात को सुनने के बाद नंदिता ठाकुर की याचिका को खारिज कर दी. यह भी पढ़े: विकास दुबे की गिरफ्तारी सुनियोजित आत्मसमर्पण है, मारे गये पुलिस उपाधीक्षक देवेंद्र मिश्रा के रिश्तेदार का दावा
Lucknow Bench of Allahabad High Court dismisses a plea seeking judicial inquiry in #VikasDubeyEncounter case. (file pic) pic.twitter.com/s9fIhKlHO1
— ANI UP (@ANINewsUP) July 13, 2020
इस बीच उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा कानपुर कांड की न्यायिक जांच के लिए गठित जांच आयोग के सदस्य सेवानिवृत्त न्यायूमर्ति शशिकांत अग्रवाल ने सोमवार की दोपहर बिकरू गांव पहुंच गए, यहां पर वह घटनास्थल का मुआयना करने के बाद ग्रामीणों से बातचीत कर हकीकत जानने की कोशिश की.
बता दें कि कानपुर में 8 पुलिसकर्मियों की हत्या के मामले में मुख्य आरोपी गैंगस्टर विकास दुबे को मध्य प्रदेश के उज्जैन से कानपुर लाते समय पुलिस मुठभेड़ में मार दिया गया था. पुलिस का आरोप था कि रात में विकास दुबे को लाते समय गाड़ी के सामने जानवर आ जाने से गाड़ी पलटने के बाद वह पुलिस के हथियार छिनकर भागने की कोशिश करने के साथ हमला किया. जवाबी कार्रवाई में वह मारा गया.