(यह पश्चिमी उत्तर प्रदेश में बदलते राजनीतिक और सामाजिक परिदृश्य पर हमारी श्रृंखला का हिस्सा है... तस्वीरों के साथ)
लखनऊ, 10 मार्च केंद्र सरकार के तीन नये कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग को लेकर दिल्ली की अलग-अलग सीमाओं पर सौ दिन से ज्यादा समय से चल रहे किसान आंदोलन का पश्चिमी उत्तर प्रदेश में व्यापक असर पड़ने और वहां के किसानों की नाराजगी बढ़ने से राज्य और केंद्र में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी की चिंता बढ़ गई है।
यही वजह है कि भाजपा सरकार और संगठन के लोग पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसानों को साधने के लिए पूरी ताकत से जुट गये हैं, जबकि विपक्षी दलों ने सरकार विरोधी आवाज मुखर करने के लिए पश्चिमी उत्तर प्रदेश का रुख कर लिया है।
एक तरफ कांग्रेस की महासचिव और उत्तर प्रदेश की प्रभारी प्रियंका गांधी पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जगह-जगह आयोजित होने वाली किसान महापंचायतों में पहुंच कर केंद्र सरकार पर निशाना साध रही हैं तो दूसरी तरफ समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने अलीगढ़ के टप्पल में पांच मार्च को पहली बार किसान महापंचायत में शामिल होकर केंद्र और राज्य सरकार पर जमकर हमला किया।
राष्ट्रीय लोकदल के चौधरी जयंत सिंह की भी पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसानों के बीच सक्रियता बढ़ी है और वह भी कृषि कानूनों के मामले को लेकर भाजपा सरकार पर खूब हमलावर दिख रहे हैं। गणतंत्र दिवस पर दिल्ली में किसानों के विरोध के बाद भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने मीडिया के सामने फफक-फफक कर रोते हुए बयान दिया तो पश्चिम में उनके आंदोलन को नई जमीन मिल गई।
इस बीच भाजपा के वरिष्ठ नेताओं ने पश्चिमी उप्र में किसानों को साधने और उन्हें सरकार और संगठन के प्रमुख लोगों से मिलाने के लिए अभियान शुरू कर दिया है। मुजफ्फरनगर जिले के बुढ़ाना क्षेत्र के भाजपा विधायक उमेश मलिक शनिवार को पश्चिमी उत्तर प्रदेश के खापों के चौधरी और किसानों के साथ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह से आकर मिले।
विधायक उमेश मलिक के नेतृत्व में शनिवार को मुख्यमंत्री से मिलने आये प्रतिनिधिमंडल के चौधरी राजेंद्र सिंह मलिक, चौधरी सुभाष बालियान सर्वखाप मंत्री, चौधरी राजवीर सिंह मलिक थाम्बेदार, चौधरी हरवीर सिंह जैसे प्रमुख किसानों की ओर से एक बयान जारी किया गया। इसमें कहा गया, ''केंद्र सरकार द्वारा लागू किये गये कृषि कानून किसान हितैषी हैं और यह कानून किसानों को सशक्त करने का प्रयास हैं। इन कानूनों का सबसे ज्यादा लाभ छोटे और सीमांत किसानों को मिलेगा, इसलिये वे इन कानूनों का समर्थन करते हैं।''
हालांकि, भाजपा के ही कुछ प्रमुख लोगों ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि किसानों के मन में संशय और गुस्सा है और जो लोग समझ रहे हैं कि कुछ लोगों को साधकर किसानों की आवाज दबा दी जाएगी, तो यह उनकी भूल है।
हरदोई जिले के गोपामऊ क्षेत्र के भाजपा विधायक श्याम प्रकाश ने तो आंदोलन के शुरुआती दिनों में अपने फेसबुक पेज पर कृषि कानूनों में संशोधन की मांग पोस्ट की और इसे अपनी निजी राय बताया था। श्याम प्रकाश ने मंगलवार को 'पीटीआई-' से बातचीत में कहा, ''किसान कानून में संशोधन की बात सबके मन में है लेकिन पार्टी में किसी को कहने की हिम्मत नहीं है।''
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