नयी दिल्ली, आठ नवंबर कांग्रेस ने शुक्रवार को आरोप लगाया कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) बी आर आंबेडकर के संविधान से छुटकारा पाना चाहते हैं और इसकी जगह मनुस्मृति आधारित संविधान लाना चाहते हैं।
विपक्षी दल ने कहा कि यही कारण है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जाति जनगणना को देश को बांटने की कोशिश बताया है।
कांग्रेस महासचिव और पार्टी के संचार प्रभारी जयराम रमेश ने दावा किया कि भाजपा और उसके वैचारिक संरक्षक आरएसएस को संविधान से कई शिकायतें हैं और दलितों, आदिवासियों और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए आरक्षण उनमें से प्रमुख है।
रमेश का यह बयान मोदी द्वारा कांग्रेस पर जातियों और समुदायों को बांटने का खतरनाक खेल खेलने का आरोप लगाने के बाद आया है। प्रधानमंत्री ने धुले में 20 नवंबर को होने वाले विधानसभा चुनावों के लिए महाराष्ट्र में अपनी पहली रैली को संबोधित करते हुए कहा कि अगर अनुसूचित जाति (एससी), अनुसूचित जनजाति (एसटी) और अन्य पिछड़ा वर्ग एकजुट रहेंगे तो कांग्रेस की राजनीति खत्म हो जाएगी।
मोदी ने कहा, ‘‘कांग्रेस एक जाति को दूसरी जाति के खिलाफ खड़ा करना चाहती है और एससी, एसटी और ओबीसी की एकता को कमजोर करना चाहती है। (जवाहरलाल) नेहरू के समय से ही कांग्रेस और उनके परिवार ने आरक्षण का विरोध किया था और अब उनकी चौथी पीढ़ी के युवराज जाति विभाजन के लिए काम कर रहे हैं। आपको समझना चाहिए कि ‘एक हैं तो सेफ हैं’।’’
रमेश ने आरोप लगाया कि भाजपा और आरएसएस को संविधान और आरक्षण से कई शिकायतें हैं। उन्होंने कहा कि इतिहास में यह बात दर्ज है।
कांग्रेस नेता ने ‘एक्स’ पर अपनी पोस्ट में दावा किया, ‘‘26 नवम्बर 1949 को संविधान सभा द्वारा संविधान को अपनाये जाने के चार दिन के भीतर ही आरएसएस के मुखपत्र ऑर्गेनाइजर ने संविधान की कड़ी आलोचना की थी।’’
उन्होंने दावा किया, ‘‘उस साल 30 नवंबर के अपने अंक में इस पत्रिका ने लिखा था कि ‘भारत के नए संविधान की सबसे बुरी बात यह है कि इसमें कुछ भी भारतीय नहीं है। आज भी मनुस्मृति में बताए गए उनके कानून दुनिया भर में प्रशंसा के पात्र हैं और सहज रूप से उनका पालन और अनुपालन होता है। लेकिन हमारे संवैधानिक पंडितों के लिए इसका कोई मतलब नहीं है।’’
उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘भाजपा और आरएसएस बाबासाहेब आंबेडकर के संविधान से छुटकारा पाना चाहते हैं और इसकी जगह मनुस्मृति की विचारधारा पर आधारित संविधान लाना चाहते हैं।’’
रमेश ने कहा, ‘‘यही कारण है कि महाराष्ट्र में उनके नेता फडणवीस ने संविधान को ‘शहरी नक्सलियों’ से जोड़कर इसकी आलोचना की और ‘नॉन-बायलॉजिकल’ प्रधानमंत्री ने जाति आधारित जनगणना को देश को विभाजित करने की कोशिश बताया जबकि यह बाबासाहेब के संविधान को पूरी तरह साकार करने की दिशा में ऐतिहासिक कदम है।’’
रमेश ने ‘एक्स’ पर ‘भाजपा हटाओ, संविधान बचाओ’ और ‘आरक्षण विरोधी भाजपा’ हैशटैग का इस्तेमाल करते हुए अपने पोस्ट में कहा कि जाति जनगणना के बाद अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और अन्य पिछड़ा वर्गों के लिए आरक्षण पर 50 प्रतिशत की सीमा को हटाना पूर्ण सामाजिक न्याय सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक है।
(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)