इंदौर, 31 दिसंबर मध्यप्रदेश के इंदौर के महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने राज्य के हितों का हवाला देते हुए मंगलवार को कहा कि वर्ष 1984 की भोपाल गैस त्रासदी के लिए जिम्मेदार यूनियन कार्बाइड कारखाने के 337 टन जहरीले कचरे को पीथमपुर भेजकर नष्ट किए जाने की योजना पर फिर से विचार किया जाना चाहिए।
उन्होंने यह बात ऐसे वक्त कही, जब इस कचरे को भोपाल से करीब 250 किलोमीटर दूर पीथमपुर भेजकर इसे एक निजी कंपनी की ओर से संचालित अपशिष्ट निपटान इकाई में नष्ट किए जाने की उल्टी गिनती शुरू हो चुकी है।
यह कचरा सूबे की राजधानी में स्थित यूनियन कार्बाइड कारखाने में पड़ा है जहां 1984 में दो और तीन दिसंबर की दरमियानी रात जहरीली गैस ‘मिथाइल आइसोसाइनेट’ का रिसाव हुआ था। दुनिया की सबसे भीषण औद्योगिक त्रासदियों में गिनी जाने वाली इस घटना में 5,479 लोगों की मौत हो गई थी और पांच लाख से अधिक लोग स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं और दीर्घकालिक विकलांगताओं से पीड़ित हो गए थे।
धार जिले में स्थित पीथमपुर राज्य का प्रमुख औद्योगिक क्षेत्र है जहां करीब 1.75 लाख लोग रहते हैं। पीथमपुर, इंदौर से करीब 30 किलोमीटर दूर है।
इंदौर के महापौर भार्गव ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘पीथमपुर में इस कचरे को नष्ट नहीं किया जाना केवल इस औद्योगिक कस्बे के साथ ही इंदौर और समूचे राज्य के हित में होगा। इसलिए इस कचरे को पीथमपुर में नष्ट किए जाने की योजना पर पुनर्विचार होना चाहिए।’’
मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय की जबलपुर स्थित मुख्य पीठ ने भोपाल गैस त्रासदी के 40 साल बाद भी यूनियन कार्बाइड कारखाने के जहरीले कचरे का निपटारा नहीं होने पर नाराजगी जताते हुए तीन दिसंबर को राज्य सरकार को निर्देश दिया था कि इस कचरे को तय अपशिष्ट निपटान इकाई में चार हफ्तों के भीतर भेजा जाए।
स्थानीय लोगों और पर्यावरण कार्यकर्ताओं के एक तबके का दावा है कि यूनियन कार्बाइड के 10 टन कचरे को वर्ष 2015 में पीथमपुर की अपशिष्ट निपटान इकाई में परीक्षण के तौर पर नष्ट किए जाने के बाद आस-पास के गांवों की मिट्टी, भूमिगत जल और जल स्रोत प्रदूषित हो गए हैं।
भार्गव उच्च न्यायालय के अतिरिक्त महाधिवक्ता रह चुके हैं। उन्होंने कहा,‘‘चूंकि मामला उच्च न्यायालय के सामने है। इसलिए मैं सूबे के मुख्य सचिव और गैस राहत एवं पुनर्वास विभाग के प्रमुख सचिव से आग्रह करूंगा कि पीथमपुर के लोगों का पक्ष सुना जाए और अदालत में पुनरीक्षण याचिका दायर की जाए।’’
उन्होंने कहा कि इस याचिका के जरिये उच्च न्यायालय से अनुरोध किया जाना चाहिए कि वह भोपाल गैस त्रासदी के कारखाने का कचरा पीथमपुर में नौ साल पहले नष्ट किए जाने से पर्यावरण पर पड़े प्रभावों के अध्ययन के आधार पर इस अपशिष्ट के निपटारे को लेकर फैसला करे।
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