मुंबई, 23 जुलाई बायकुला जेल प्रशासन ने बंबई उच्च न्यायालय को बताया कि एल्गार परिषद मामले में आरोपी, पेशे से वकील और कार्यकर्ता सुधा भारद्वाज मधुमेह और हृदय रोग से पीड़ित हैं, लेकिन उनकी हालत ठीक-ठाक है।
सोमवार को सौंपी गई जेल रिपोर्ट के अनुसार, भारद्वाज को मधुमेह और एक किस्म का हृदय रोग है।
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विशेष अदालत द्वारा 29 मई को जमानत याचिका खारिज किए जाने के बाद भारद्वाज ने स्वास्थ्य संबंधी कारणों का हवाला देते हुए उच्च न्यायालय से जमानत देने का अनुरोध किया है।
बायकुला महिला कारागार की एक कैदी के इस साल की शुरुआत में कोरोना वायरस से संक्रमित होने की पुष्टि होने के बाद भारद्वाज ने जमानत की अर्जी दी थी।
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने पिछले महीने उच्च न्यायालय में एक हलफनामा देकर भारद्वाज की जमानत याचिका का विरोध किया था।
हलफनामे में एजेंसी ने कहा था कि 58 वर्षीय भारद्वाज महामारी का गलत फायदा उठा रही है और उनके अन्य बीमारियों से ग्रस्त होने तथा कोविड-19 से उन्हें ज्यादा खतरा होने जैसी बातें और कुछ नहीं बल्कि जमानत पाने के बहाने हैं।
एजेंसी ने कहा कि जब भी और जैसी भी जरुरत होगी, भारद्वाज को जेल में पर्याप्त मेडिकल सुविधा उपलब्ध करायी जाएगी।
भारद्वाज की जमानत याचिका पर न्यायमूर्ति एस.एस. शिंदे की पीठ को विचार करना था लेकिन समय की कमी के कारण ऐसा नहीं हो पाया।
इसी पीठ को एल्गार मामले में भारद्वाज के सहआरोपी कवि वरवर राव की अंतरिम जमानत याचिका पर भी विचार करना था, लेकिन समय की कमी के कारण उसपर भी विचार नहीं हो सका।
न्यायमूर्ति शिंदे की पीठ ने राज्य और एनआईए से जानना चाहा था कि क्या राव का परिवार उनसे मिल सकता है ?
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