नयी दिल्ली, 10 जुलाई : उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा दायर उस वाद को विचारणीय माना जिसमें आरोप लगाया गया है कि राज्य की ओर से 16 नवंबर 2018 को आम सहमति वापस लिए जाने के बावजूद केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) विभिन्न मामलों में जांच जारी रखे हुए है. न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ ने कहा कि राज्य के वाद पर कानून के अनुरूप और गुण-दोष के आधार पर कार्यवाही की जाएगी.
पीठ ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 13 अगस्त की तारीख निर्धारित की. शीर्ष अदालत ने आठ मई को इस संबंध में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था कि राज्य द्वारा दायर वाद सुनवाई योग्य है अथवा नहीं. पश्चिम बंगाल की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने दलील दी थी कि राज्य ने 16 नवंबर 2018 को अपनी सहमति वापस ले ली है तो ऐसे में केंद्र जांच एजेंसी को जांच के लिए राज्य में प्रवेश की अनुमति नहीं दे सकता. वहीं केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने दलील दी थी कि केंद्र सरकार या उसके विभागों का सीबीआई की जांच पर कोई पर्यवेक्षी नियंत्रण नहीं है.यह भी पढ़ें : बिहार की रूपौली विधानसभा सीट के लिए उपचुनाव में सुबह 11 बजे तक 18.48 प्रतिशत मतदान
केंद्र ने पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा दायर वाद की विचारणीयता के बारे में प्रारंभिक आपत्तियां उठाई थीं और तर्क दिया था कि भारत संघ के खिलाफ कार्रवाई का कोई कारण नहीं है. पश्चिम बंगाल सरकार ने संविधान के अनुच्छेद 131 के तहत केंद्र के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय में एक मूल वाद दायर किया जिसमें आरोप लगाया गया है कि सीबीआई प्राथमिकियां दर्ज कर रही है और जांच कर रही है, जबकि राज्य ने अपने अधिकार क्षेत्र में मामलों की जांच के लिए संघीय एजेंसी को दी गई सहमति वापस ले ली है.