कोलकाता, 25 अप्रैल पश्चिम बंगाल में रणनीतिक रूप से अहम दार्जिंलिंग समेत तीन लोकसभा सीट के लिए दूसरे चरण में शुक्रवार (26 अप्रैल) को मतदान होगा। दार्जिंलिंग, बालुरघाट और रायगंज लोकसभा सीट के लिए मतदान भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के दो मौजूदा सांसदों के चुनावी भाग्य का फैसला करेगा जिसमें भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सुकांत मजूमदार भी शामिल हैं।
मजूमदार बालुरघाट सीट से चुनाव जीतकर दोबारा लोकसभा पहुंचने के लिए प्रयासरत हैं। मजूमदार का मुकाबला तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के दिग्गज नेता और मंत्री बिप्लब मित्रा से है।
दार्जिंलिंग के लोग गोरखालैंड के रूप में एक अलग राज्य की लंबे समय से मांग कर रहे हैं और मौजूदा चुनाव में भी यह मुद्दा जोर पकड़ रहा है। यहां चुनावी भाग्य इस मांग के राजनीतिक समाधान के वादे पर निर्भर करता है।
नेपाल की सीमा से सटी दार्जिंलिंग लोकसभा सीट के अंतर्गत पूर्वोत्तर राज्यों को भारत की मुख्य भूमि से जोड़ने वाला रणनीतिक रूप से अहम ‘चिकन नेक’ या सिलीगुड़ी गलियारा भी आता है।
सुरम्य दार्जिंलिंग को अक्सर पहाड़ों की रानी कहा जाता है जो चाय, लकड़ी और पर्यटन उद्योगों के लिए भी जाना जाता है।
दार्जिंलिंग चतुष्कोणीय मुकाबले के लिए तैयार है और यहां के मौजूदा भाजपा सांसद राजू बिस्ता का मुकाबला कर्सियांग से पार्टी विधायक बिष्णु प्रसाद शर्मा से है जो निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं। शर्मा ने ‘भूमिपुत्र’ को मैदान में उतारने की अपनी मांग को भाजपा नेतृत्व द्वारा स्वीकार नहीं किए जाने पर निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में लड़ने का फैसला किया।
दूसरी बार लोकसभा पहुंचने के प्रयास में जुटे बिस्ता को गोरखा नेशनल लिबरेशन फ्रंट (जीएनएलएफ) और गोरखा जनमुक्ति मोर्चा (जीजेएम) के बिमल गुरुंग गुट का समर्थन प्राप्त है।
बिस्ता इस मायने में एक अपवाद हैं कि भाजपा ने उन्हें इस पहाड़ी क्षेत्र से दोबारा अपना प्रत्याशी घोषित किया है। इसके पहले वर्ष 2009 और 2014 में इसके पिछले सांसदों जसवंत सिंह और एस एस अहलूवालिया को केवल एक-एक कार्यकाल मिला था।
पिछले चुनावों के विपरीत बिस्ता को मजबूत विपक्ष का सामना करना पड़ रहा है, क्योंकि कांग्रेस ने हमरो पार्टी के साथ मिलकर भारतीय गोरखा परिषद के मुनीश तमांग को मैदान में उतारा है, जिन्हें मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) का भी समर्थन प्राप्त है।
टीएमसी ने दार्जिंलिंग सीट से गोपाल लामा को नामांकित किया है जिनका समर्थन अनित थापा का भारतीय गोरखा प्रजातांत्रिक मोर्चा (बीजीपीएम) भी कर रहा है जो गोरखालैंड क्षेत्रीय प्रशासन (जीटीए) को नियंत्रित करता है।
बिस्ता ने 2019 में 4.5 लाख वोटों के अंतर से इस सीट पर जीत दर्ज की थी। लेकिन मौजूदा लोकसभा चुनाव में स्थायी राजनीतिक समाधान (पीपीएस) के मुद्दे ने जोर पकड़ लिया है। भाजपा अगले पांच वर्ष के भीतर स्थायी राजनीतिक समाधान का वादा करती है।
टीएमसी से गठबंधन तोड़ चुके बिमल गुरुंग के नेतृत्व वाले गोरखा जनमुक्ति मोर्चा (जीजेएम) ने भगवा खेमे को ‘अंतिम चेतावनी’ दी है और चुनाव में अपना समर्थन देने की पूर्व शर्त के रूप में पहाड़ी क्षेत्र की समस्यों के समाधान की मांग की है।
वर्ष 2021 के विधानसभा चुनाव में दार्जिंलिंग सीट के तहत आने वाले विधानसभा क्षेत्रों में से केवल एक में टीएमसी ने जीत हासिल की थी, जबकि छह विधानसभा क्षेत्रों में भाजपा ने जीत हासिल की।
रायगंज सीट में भाजपा ने कार्तिक पॉल को उम्मीवार बनाया है जो टीएमसी के कृष्ण कल्याणी से मुकाबला करेंगे। कल्याणी भाजपा विधायक थे जो अब भाजपा में शामिल हो गए हैं। रायगंज कभी कांग्रेस का गढ़ हुआ करता था और दिवंगत केंद्रीय मंत्री प्रियरंजन दासमुंशी यहां के कद्दावर नेता थे।
रायगंज में त्रिकोणीय मुकाबला है जहां से कांग्रेस और वाम मोर्चे के संयुक्त उम्मीदवार अली इमरान रम्ज हैं जिन्हें विक्टर के रूप में जाना जाता है। पिछले लोकसभा चुनाव में इस सीट पर भाजपा के देबाश्री चौधरी ने टीएमसी के के.एल. अग्रवाल को 60 हजार से अधिक वोट से हराकर जीत हासिल की थी।
बंगाल के दक्षिण दिनाजपुर जिले की बालुरघाट लोकसभा सीट पर दिलचस्प और करीबी चुनावी मुकाबला होने वाला है, जहां मौजूदा सांसद और भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सुकांत मजूमदार का मुकाबला टीएमसी उम्मीदवार बिप्लब मित्रा से है।
वर्ष 2019 में अपना पहला चुनाव लड़ने वाले मजूमदार ने 33,293 वोटों के अंतर से हराकर टीएमसी की अर्पिता घोष से यह सीट छीन ली थी। बालुरघाट कभी वाम मोर्चे के घटक आरएसपी का गढ़ था जिसने वर्ष 1984 से 2009 तक लगातार इस सीट पर जीत हासिल की थी। इस सीट पर वाम मोर्चा-कांग्रेस गठबंधन के उम्मीदवार जॉयदीप सिद्धांत हैं।
निर्वाचन आयोग ने कहा है कि पश्चिम बंगाल के इन तीन लोकसभा क्षेत्रों के 98 फीसदी मतदान केंद्र ‘संवेदनशील’ हैं। इन सभी मतदान केंद्रों पर केंद्रीय बलों की तैनाती की जाएगी।
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