नयी दिल्ली, छह अगस्त भारतीय क्रिकेट बोर्ड (बीसीसीआई) ने भारत और चीन के बीच बढ़ते राजनयिक तनाव के बीच गुरूवार को चीनी मोबाइल फोन कंपनी वीवो के साथ इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) के आगामी सत्र के लिये टाइटल प्रायोजन करार निलंबित कर दिया।
बीसीसीआई ने एक पंक्ति का बयान भेजा जिसमें कोई विस्तृत जानकारी नहीं दी गयी और इसमें कहा गया कि वीवो इस साल आईपीएल के साथ जुड़ा नहीं होगा।
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प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, ‘‘बीसीसीआई और वीवो मोबाइल इंडिया प्राइवेट लिमिटेड ने 2020 में इंडियन प्रीमियर लीग के लिये अपनी साझेदारी को निलंबित करने का फैसला किया है।’’
वीवो ने 2018 से 2022 तक पांच साल के लिये 2190 करोड़ रूपये (प्रत्येक वर्ष करीब 440 करोड़ रूपये) में आईपीएल प्रायोजन अधिकार हासिल किये थे।
दोनों पक्ष एक योजना पर काम कर रहे हैं जिसमें वीवो फिर से तीन साल के लिये संशोधित शर्तों पर 2021 से वापसी कर सकता है। हालांकि बीसीसीआई के एक शीर्ष अधिकारी का इस पर विचार कुछ अलग था।
बीसीसीआई के एक अनुभवी अधिकारी ने नाम नहीं बताने की शर्त पर पीटीआई से कहा, ‘‘हम यहां कूटनीतिक तनाव की बात कर रहे हैं और आप उम्मीद कर रहे हो कि नवंबर में जब आईपीएल खत्म हो जायेगा और अगला आईपीएल अप्रैल 2021 में शुरू होगा तो चीन विरोधी भावना नहीं होगी? क्या हम गंभीर हैं? ’’
पूर्वी लद्दाख में भारत और चीन के सैनिकों के बीच हिसंक झड़प के बाद देश में चीन के खिलाफ भावनायें चरम पर पहुंच गयी। इसमें भारत के 20 सैनिकों की जान चली गयी जबकि चीन ने भी सैनिकों के मारे जाने की बात स्वीकार की।
वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर हुई इस घटना से भारत में चीनी कंपनियों और उत्पादों के बहिष्कार की बातें होने लगी।
बीसीसीआई के अपने संविधान के अनुसार नये टाइटल प्रायोजक के लिये निविदा प्रक्रिया शुरू करने की संभावना है। टी20 लीग 19 सितंबर से संयुक्त अरब अमीरात में शुरू होगी जिसे भारत में बढ़ते कोविड-19 मामलों के कारण विदेश में आयोजित कराना पड़ रहा है।
रविवार को हुई आईपीएल संचालन परिषद की बैठक में फैसला किया गया था कि वीवो अन्य प्रायोजकों के साथ बना रहेगा, लेकिन यह घटना इसके बिलकुल उलट हुई।
बीसीसीआई ने गलवान घाटी में हुई घटना के बाद जून में घोषणा की थी कि आईपीएल को लेकर सभी प्रायोजन करार की समीक्षा की जायेगी।
हालांकि रविवार को हुई बैठक के बाद वीवो के साथ करार बरकरार रखने के कारण बीसीसीआई की सोशल मीडिया पर काफी आलोचना हुई थी।
दोनों पक्षों ने इस सत्र के लिये आपसी रजामंदी से अलग होने की योजना बनायी। हालांकि इस करार के खत्म होने से फ्रेंचाइजी को भी नुकसान हो सकता है क्योंकि उन्हें भी प्रायोजन करार से काफी बड़ा हिस्सा मिलता था।
सालाना वीवो प्रायोजन राशि का आधा हिस्सा आठ फ्रेंचाइजी में बराबर बराबर बांटा जाता है जो 27.5 करोड़ रूपये तक आता है।
अधिकारी ने कहा, ‘‘अभी बीसीसीआई के लिये इतने कम समय में इस प्रायोजन राशि के बराबर प्रायोजक ढूंढना बहुत मुश्किल होगा। इसलिये बीसीसीआई और फ्रेंचाइजी दोनों को कुछ घाटे के लिये तैयार हो जाना चाहिए -- बीसीसीआई को ज्यादा लेकिन प्रत्येक फ्रेंचाइजी को वीवो के जाने से संभवत: 15 करोड़ रूपये का नुकसान होगा। ’’
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