गुलाम नबी आजाद बोले- उन खुशकिस्मत लोगों में से हूं जो पाकिस्तान नहीं गए, मैं हिंदुस्तानी मुसलमान हूं
गुलाम नबी आजाद (Photo Credits: ANI)

नयी दिल्ली, नौ फरवरी: राज्यसभा में मंगलवार को नेता प्रतिपक्ष की विदाई के अवसर पर ना केवल प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी बल्कि खुद गुलाम नबी आजाद भी कुछ पलों के लिए भावुक हो गए तथा उन्होंने देश से आतंकवाद के खात्मे और कश्मीरी पंडितों के आशियानों को फिर से आबाद किए जाने की कामना की. उच्च सदन में अपने विदाई भाषण के दौरान आजाद ने कहा कि वह उन खुशकिस्मत लोगों में हैं जो पाकिस्तान नहीं गए. साथ ही उन्होंने कहा कि उन्हें गर्व महसूस होता है कि वह ‘‘हिन्दुस्तानी मुसलमान’’ हैं.

आजाद के इस बयान का सदन के सदस्यों ने मेजे थपथपाकर स्वागत किया. उन्होंने कहा कि उनमें यह भावना उनके छात्र जीवन में बलवती हुई. उन्होंने कहा, ‘‘जब मैं जम्मू एवं कश्मीर में कॉलेज का छात्र था तो वहां 14 अगस्त और 15 अगस्त दोनों मनाया जाता था. अधिकांश छात्र 14 अगस्त मनाते थे और मैं उन भाग्यशाली लोगों में था, जिनकी संख्या दर्जन के करीब होगी, जो 15 अगस्त मनाते थे.’’ ज्ञात हो कि 14 अगस्त को पाकिस्तान में स्वतंत्रता दिवस मनाया जाता है.

आजाद ने कहा कि जम्मू एवं कश्मीर का मुख्यमंत्री बनने के कुछ ही दिनों के भीतर कश्मीर में पर्यटकों पर आतंकी हमला हुआ और कुछ पर्यटक मारे गए थे. इनमें गुजरात के पर्यटक भी थे.

उन्होंने कहा कि वह जब हवाईअड्डे पहुंचे तब पीड़ित परिवारों के बच्चे उन्हें पकड़कर रोने लगे.

आजाद ने कहा कि वह दृश्य देखकर उनके मुंह से चीख निकल गई, ‘‘खुदा तूने ये क्या किया...मैं क्या जवाब दूं इन बच्चों को...इन बच्चों में से किसी ने अपने पिता को गंवाया तो किसी ने अपनी मां को...ये यहां सैर करने आए थे और मैं उनकी लाशें हवाले कर रहा हूं....’’

इससे पहले, प्रधानमंत्री ने आजाद के विदाई भाषण के दौरान इसी घटना का जिक्र करते हुए कहा था कि उस समय आजाद जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री थे और वह स्वयं गुजरात के मुख्यमंत्री थे. उसी दौरान जम्मू कश्मीर में एक आतंकवादी हमले में गुजरात के कुछ पर्यटक मारे गए थे.

मोदी ने कहा कि आजाद ने जब उन्हें फोन पर इसकी जानकारी दी तो उनके आंसू रूक नहीं रहे थे और ऐसा लगा कि आजाद ने परिवार के सदस्य के रूप में गुजरात के प्रभावित लोगों की चिंता की. प्रधानमंत्री इस घटना का जिक्र करते हुए खुद भावुक हो गए और उनका गला रुंध गया.

अपने विदाई भाषण के दौरान आजाद भी इस घटना का जिक्र करते हुए भावुक हो गए और उनके आंसू छलक उठे. आजाद ने कहा कि जम्मू एवं कश्मीर का मुख्यमंत्री बनने के कुछ ही दिनों के बाद हुई इस घटना के पीड़ितों और उनके परिजनों को विदा करने वह जब हवाईअड्डे पहुंचे तब पीड़ित परिवारों के बच्चे उन्हें पकड़कर रोने लगे.

आजाद ने कहा कि वह दृश्य देखकर उनके मुंह से चीख निकल गई. आजाद ने कहा, ‘‘अल्लाह से... भगवान से... यही दुआ करते हैं कि इस देश से आतंकवाद खत्म हो जाए.’’ जम्मू एवं कश्मीर में आतंकवाद की घटनाओं में शहीद हुए केंद्रीय बलों और पुलिस के जवानों के साथ आम नागरिकों के मारे जाने का उल्लेख करते हुए आजाद ने वहां के हालात ठीक होने की कामना की.

अपने संबोधन के दौरान आजाद ने कश्मीरी पंडितों की पीड़ा का भी जिक्र किया और कहा कि वह जब छात्र राजनीति में थे उन्हें सबसे अधिक मत कश्मीरी पंडितों का ही मिलता था. उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी ओर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से कश्मीरी पंडितों के उजड़े आशियानों को बसाने की दिशा में प्रयास करने का आग्रह करते हुए एक शे‘र सुनाया.

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने कहा, ‘‘गुजर गया वह जो छोटा सा एक फसाना था, फूल थे, चमन था, आशियाना था, न पूछ उजड़े नशेमन की दास्तां, न पूछ थे चार तिनके, मगर आशियाना था.’’

पाकिस्तान की मौजूदा स्थिति का जिक्र करते हुए आजाद ने कहा कि उन्हें फक्र होता है कि वह एक हिन्दुस्तानी हैं.

उन्होंने कहा, ‘‘मैं उन खुशकिस्मत लोगों में हूं जो कभी पाकिस्तान नहीं गया. लेकिन जब मैं वहां के बारे में पढ़ता हू या सुनता हूं तो मुझे गर्व महसूस होता है कि हम हिन्दुस्तानी मुसलमान हैं. विश्व में किसी मुसलमान को यदि गौरव होना चाहिए तो हिंदुस्तान के मुसलमान को गर्व होना चाहिए.’’

मुस्लिम देशों की स्थिति बयान करते हुए उन्होंने पाकिस्तान का उल्लेख किया और कहा कि वहां जो सामाजिक बुराइयां हैं, वह भारत में नहीं है.

उन्होंने कामना करते हुए कहा, ‘‘हमारे मुसलमानों में ये सामाजिक बुराइयां कभी ना आएं.’’

तत्कालीन जम्मू एवं कश्मीर राज्य के मुख्यमंत्री के रूप में अपने कार्यकाल को याद करते हुए आजाद ने कहा कि उन्होंने सबसे पहली जनसभा आतंकवाद से सबसे ज्यादा प्रभावित सोपोर जिले में की थी, जहां आज भी कोई जनसभा करने की सोच नहीं सकता.

उन्होंने कहा, ‘‘मैंने कहा था कि मेरी सरकार जम्मू और कश्मीर की जनता की सरकार होगी और यदि कोई मंत्री धर्म या पार्टी के आधार पर काम करेगा तो मुझे शर्मिंदगी होगी.’’ आजाद ने कहा कि अपनी जिंदगी में वह पांच ही बार चीख कर रोये हैं.

उन्होंने कहा, ‘‘जब संजय गांधी, इंदिरा गांधी और राजीव गांधी का निधन हुआ था...उनका निधन अचानक हुआ था... वर्ष 1999 में जब सूनामी आई थी तब ओडिशा में लाशों का मंजर देखकर और पांचवीं बार जम्मू एवं कश्मीर में हुई उस आतंकवादी घटना के दौरान जिसमें गुजरात के पर्यटक मारे गए थे और जिसका जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री भावुक हो गए.’’

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