जरुरी जानकारी | ऑडिटर एनबीएफसी के खुलासों में गुणात्मक विवरण सुनिश्चित करेंः आरबीआई डिप्टी गवर्नर

मुंबई, 10 जुलाई भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के डिप्टी गवर्नर एम राजेश्वर राव ने कुछ गैर-बैंकिंग वित्त कंपनियों (एनबीएफसी) की तरफ से दी गई जानकारियों की गुणवत्ता पर चिंता जताते हुए लेखा परीक्षकों से उचित गुणात्मक जानकारी सुनिश्चित कराने को कहा है।

राव ने यहां एक कार्यक्रम में कहा, ‘‘वैधानिक ऑडिटर वित्तीय विवरणों में हितधारकों का विश्वास बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। यह बैंकिंग उद्योग के मामले में खासतौर पर महत्वपूर्ण है क्योंकि इसकी पूरी इमारत ‘भरोसे’ पर बनी है और सबसे बड़े बाहरी हितधारक यानी जमाकर्ता विखंडित और असंगठित होते हैं।’’

उन्होंने मंगलवार को वाणिज्यिक बैंकों और अखिल भारतीय वित्तीय संस्थानों (एआईएफआई) के वैधानिक लेखा परीक्षकों (ऑडिटर) और मुख्य वित्त अधिकारियों (सीएफओ) के सम्मेलन में यह बात कही।

डिप्टी गवर्नर ने कहा कि वित्तीय विवरणों का खुलासा पारदर्शिता की आधारशिला हैं क्योंकि ये प्रबंधन की जानकारी और बाहरी उपयोगकर्ता के बीच की खाई को पाटते हैं। व्यापक खुलासे और संक्षिप्तता के बीच संतुलन बनाना एक कठिन काम है।

इस संबंध में आरबीआई के अनुभव साझा करते हुए राव ने कहा कि केंद्रीय बैंक ने अपेक्षित ऋण हानि (ईसीएल) ढांचे के संदर्भ में एनबीएफसी द्वारा किए जा रहे खुलासों पर गौर करने के बाद यह पाया कि अधिकांश खुलासे काफी हद तक संबंधित लेखा मानकों के पाठ की पुनरावृत्ति थे।

उन्होंने लेखा परीक्षक (ऑडिटर) समुदाय से खुलासा संबंधी व्यवहार का गंभीरता से मूल्यांकन करने और यह सुनिश्चित करने का आग्रह किया कि ये लेखांकन मानकों और अंतिम उपयोगकर्ताओं की जरूरतों को पूरा करते हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘लेखा परीक्षकों की यह सुनिश्चित करने की भी जिम्मेदारी है कि संस्थाएं शासन और नियंत्रण तंत्र से संबंधित उचित गुणात्मक जानकारी प्रदान करें।’’

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