नयी दिल्ली, 12 दिसंबर वाणिज्य सचिव सुनील बर्थवाल ने बृहस्पतिवार को कहा कि जब तक निर्यात का हिस्सा बढ़ता रहेगा, भारत को आयात के बारे में अत्यधिक चिंतित होने की जरूरत नहीं है।
उन्होंने कहा कि दुनिया को संरक्षणवाद से बचने की जरूरत है, जो अधिक व्यापार बाधाएं पैदा करता है और वस्तुओं की आवाजाही में अड़चन खड़ी करता है।
उद्योग मंडल भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के एक कार्यक्रम में बर्थवाल ने कहा कि हमें व्यापारिक दृष्टिकोण से बचना चाहिए और व्यापार संतुलन और आयात के बारे में ज्यादा चिंता नहीं करनी चाहिए।
उन्होंने कहा, “...क्योंकि यदि भारतीय अर्थव्यवस्था सात प्रतिशत की दर से बढ़ रही है और यदि दुनिया 3-3.5 प्रतिशत की दर से बढ़ रही है, तो जाहिर है कि भारत को अधिक उपभोग, अधिक आयात की आवश्यकता होगी और मैं आपको बता दूं कि निर्यात में आयात की भूमिका भी बहुत महत्वपूर्ण है।”
उन्होंने कहा कि कच्चे माल और मध्यवर्ती उत्पादों का आयात आवश्यक है।
वाणिज्य सचिव ने कहा, “जब तक हम अपने निर्यात वाले हिस्से में सुधार कर सकते हैं, हमें आयात के बारे में बहुत अधिक चिंतित नहीं होना चाहिए और मुझे लगता है कि हमें इससे बचना चाहिए।”
इसके अलावा, बर्थवाल ने कहा कि विकसित देश प्रवास और आवाजाही की अवधारणा को लेकर भ्रमित हैं।
उन्होंने कहा कि यदि भारतीय या भारतीय कंपनियां अन्य देशों में अपना आधार स्थापित कर रही हैं, तो पेशेवरों की आवाजाही सुनिश्चित की जानी चाहिए।
उन्होंने कहा, “...और यही हमारा तर्क है कि हम प्रवासन की मांग नहीं कर रहे हैं, हम आवाजाही की मांग कर रहे हैं।”
एफटीए (मुक्त व्यापार समझौते) में, यह अधिकांश विकसित देशों के साथ बातचीत का बिंदु है।
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि एक ऐसी अवधारणा बनाने की जरूरत है कि व्यावसायिक सेवाओं सहित समग्र रूप से सेवा क्षेत्र की वृद्धि के लिए आवाजाही आवश्यक है।
उन्होंने कहा कि दुनिया को संरक्षणवादी उपायों और व्यापार बाधाओं से बचना चाहिए।
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