निचली अदालत में आरोप पत्र दाखिल होने के बाद भी अग्रिम जमानत कायम रखी जा सकती है:उच्च न्यायालय

Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on India at LatestLY हिन्दी. उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने कहा है कि निचली अदालत में आरोप पत्र दाखिल होने के बाद भी आरोपी की अग्रिम जमानत कायम रखी जा सकती है।

एजेंसी न्यूज Bhasha|
निचली अदालत में आरोप पत्र दाखिल होने के बाद भी अग्रिम जमानत कायम रखी जा सकती है:उच्च न्यायालय
उत्तराखंड हाईकोर्ट (Photo Credits: PTI)

नैनीताल, 20 सितंबर : उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने कहा है कि निचली अदालत में आरोप पत्र दाखिल होने के बाद भी आरोपी की अग्रिम जमानत कायम रखी जा सकती है. न्यायमूर्ति संजय कुमार मिश्रा और न्यायमूर्ति आलोक वर्मा की खंडपीठ ने यह विचार हाल में अग्रिम जमानत अर्जियों पर सुनवाई के दौरान व्यक्त किए.

इनमें से एक अर्जी एक अधिवक्ता की भी थी, जो दहेज हत्या के मामले में आरोपी है. ये अर्जियां न्यायमूर्ति रविंद्र मैठाणी द्वारा खंडपीठ को मार्ग दर्शन के लिए रेफर की गयी थीं. उच्च न्यायालय ने अपने विचार के समर्थन में उच्चतम न्यायालय के भरत चौधरी बनाम बिहार राज्य 2003 और विनोद कुमार शर्मा बनाम उत्तर प्रदेश सरकार 2021 मामलों के दौरान दिए निर्देशों का हवाला दिया. यह भी पढ़ें : महाराष्ट्र में किसान ने की आत्महत्या, प्रधानमंत्री से फसलों के लिए एमएसपी का आग्रह किया

शीर्ष अदालत ने कहा था कि निचली अदालत में आरोप पत्र https%3A%2F%2Fhindi.latestly.com%2Fagency-news%2Fanticipatory-bail-can-be-maintained-even-after-charge-sheet-is-filed-in-lower-court-high-courtr-1515969.html&token=&isFramed=true',550, 550)" title="Share on Linkedin">

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निचली अदालत में आरोप पत्र दाखिल होने के बाद भी अग्रिम जमानत कायम रखी जा सकती है:उच्च न्यायालय
उत्तराखंड हाईकोर्ट (Photo Credits: PTI)

नैनीताल, 20 सितंबर : उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने कहा है कि निचली अदालत में आरोप पत्र दाखिल होने के बाद भी आरोपी की अग्रिम जमानत कायम रखी जा सकती है. न्यायमूर्ति संजय कुमार मिश्रा और न्यायमूर्ति आलोक वर्मा की खंडपीठ ने यह विचार हाल में अग्रिम जमानत अर्जियों पर सुनवाई के दौरान व्यक्त किए.

इनमें से एक अर्जी एक अधिवक्ता की भी थी, जो दहेज हत्या के मामले में आरोपी है. ये अर्जियां न्यायमूर्ति रविंद्र मैठाणी द्वारा खंडपीठ को मार्ग दर्शन के लिए रेफर की गयी थीं. उच्च न्यायालय ने अपने विचार के समर्थन में उच्चतम न्यायालय के भरत चौधरी बनाम बिहार राज्य 2003 और विनोद कुमार शर्मा बनाम उत्तर प्रदेश सरकार 2021 मामलों के दौरान दिए निर्देशों का हवाला दिया. यह भी पढ़ें : महाराष्ट्र में किसान ने की आत्महत्या, प्रधानमंत्री से फसलों के लिए एमएसपी का आग्रह किया

शीर्ष अदालत ने कहा था कि निचली अदालत में आरोप पत्र दाखिल होने के बावजूद आरोपी की अग्रिम जमानत को कायम रखा जा सकता है. अपनी राय देने के बाद खंडपीठ ने इन याचिकाओं को नियमित सुनवाई के लिए एकल पीठ को लौटा दिया.

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