नयी दिल्ली, 27 दिसंबर मनमोहन सिंह के लिए दिल्ली सिर्फ सत्ता की चकाचौंध वाली जगह भर नहीं थी, यह एक ऐसा शहर था जहां उन्हें किताबों, भोजन और परिवार का सुख मिलता था।
सिंह का बृहस्पतिवार को 92 वर्ष की आयु में राष्ट्रीय राजधानी स्थित एम्स में निधन हो गया।
सिंह अपने व्यस्त कामकाज से अलग होकर अपने प्रियजनों के साथ किताबों की दुकानों और प्रसिद्ध भोजनालयों में शांतिपूर्वक समय बिताना पसंद करते थे।
“स्ट्रिक्टली पर्सनल” नामक अपने संस्मरण में सिंह की पुत्री दमन सिंह ने इन यात्राओं की दुर्लभ झलक प्रदान करते हुए इन्हें “रोमांचक भ्रमण” बताया है।
उन्होंने लिखा, “हमारी सबसे रोमांचक यात्राएं किताबों की दुकानों पर होती थीं: कश्मीरी गेट में रामकृष्ण एंड संस, और कनॉट प्लेस में गलगोटिया और न्यू बुक डिपो। किताबों की लुभावनी अलमारियों के बीच से हम अपनी खरीदी हुई चीजें थामे हुए बाहर निकलते थे।”
परिवार अक्सर इन किताबों की दुकानों पर घंटों बिताता था। हालांकि, यह खाने-पीने से जुड़ी यात्राएं ही थीं जो शहर में सिंह की खुशी को दर्शाती थीं।
अपने संस्मरण में सिंह की बेटी याद करती हैं कि “हर दो महीने में हम पहले से तय स्थानों पर खाना खाने जाते थे: दक्षिण भारतीय भोजन के लिए कमला नगर में कृष्णा स्वीट्स, मुगलई के लिए दरियागंज में तंदूर, चाइनीज व्यंजनों के लिए मालचा मार्ग पर फुजिया और चाट के लिए बंगाली मार्केट”।
फुजिया के मालिक मनप्रीत सिंह याद करते हैं, “उन दिनों मनमोहन सिंह अक्सर हमारे रेस्तरां में आते थे।”
मनप्रीत सिंह ने ‘पीटीआई-’ को बताया, “उन्हें खास तौर पर गर्म और खट्टे सूप और स्प्रिंग रोल पसंद थे। बच्चों को अमेरिकन चॉप्सी बहुत पसंद थी। वे घर पर डिलीवरी के लिए खाना लाने के लिए किसी को भेजते थे। आखिरी बार टेकअवे लगभग तीन साल पहले हुआ था और उनका अंतिम बार आगमन 2007 में हुआ था।”
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