नयी दिल्ली, 16 अक्टूबर हवा की गति अनुकूल रहने के चलते प्रदूषकों के छितराव में मदद मिलने से शुक्रवार को दिल्ली में प्रदूषण के स्तर में आंशिक रूप से कमी आई। हालांकि, पराली जलाये जाने से शहर में ‘पीएम 2.5’ का सकेंद्रण बढ़ कर 18 प्रतिशत हो गया।
पीएम 2.5, हवा में मौजूद 2.5 माइक्रोमीटर से कम व्यास के कण हैं।
दिल्ली-एनसीआर कई महीनों से खराब वायु गुणवत्ता का सामना कर रहा है। विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि वायु प्रदूषण का स्तर अधिक रहने से कोविड-19 की स्थिति और बढ़ सकती है।
शहर में शुक्रवार सुबह 10 बजे वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 251 दर्ज किया गया। बृहस्पतिवार को औसत एक्यूआई 315 रहा, जो 12फरवरी के बाद से सबसे खराब रहा।
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शून्य और 50 के बीच एक्यूआई को 'अच्छा', 51 और 100 के बीच 'संतोषजनक', 101 और 200 के बीच ‘मध्यम’, 201 और 300 'खराब', 301 और 400 के बीच 'बहुत खराब' और 401 और 500 के बीच 'गंभीर' माना जाता है।
केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने शुक्रवार को कहा कि दिल्ली में पिछले साल की तुलना में इस साल सितंबर के बाद से प्रदूषकों के व्यापक स्तर पर फैलने (छितराने) के लिये मौसमी दशाएं ''अत्यधिक प्रतिकूल'' रही हैं।
बोर्ड के सदस्य सचिव प्रशांत गार्गव ने कहा कि इस साल एक सितंबर से 14 अक्टूबर के बीच ‘पीएम 10’ (हवा में मौजूद 10 माइक्रोमीटर या इससे कम व्यास के कणों) का संकेन्द्रण पिछले साल की इसी अवधि की तुलना में अधिक है।
इस साल पंजाब और हरियाणा में कम क्षेत्र में गैर बासमती धान की खेती होने के चलते सीपीसीबी सदस्य सचिव को उम्मीद है कि पराली जलाने की घटना 2019 की तुलना में इस साल कम होगी।
नासा के उपग्रहों से ली गई तस्वीरों में पंजाब के अमृतसर, पटियाला, तरनतारन और फिरोजपुर के पास और हरियाणा के अंबाला और राजपुरा में खेतों में आग लगी दिखाई दे रही है।
हालांकि मौसम विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि प्रदूषण के स्तर में कमी संभवत: हवा की गति बेहतर होते हुए 10 किमी प्रति घंट तक होने के चलते हुई है।
पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय की वायु गुणवत्ता पूर्व चेतावनी प्रणाली ने कहा है कि शुक्रवार को वायु प्रवहा की दिशा उत्तर-पश्चिम की ओर रही, जो पराली जलाये जा रहे खेतों से प्रदूषकों को उड़ा ले जाने के लिये अनुकूल है।
‘वायु गुणवत्ता निगरानी एवं मौसम पूर्वानुमान तथा अनुसंधान प्रणाली’ (सफर) के मुताबिक दिल्ली में पीएम 2.5 के सकेंद्रण में खेतों में पराली जलाये जाने की घटनाओं की हिस्सेदारी शुक्रवार को 18 प्रतिशत रही। बुधवार को यह सिर्फ एक प्रतिशत थी और रविवार, सोमवार तथा मंगलवार को यह तीन प्रतिशत के करीब थी।
सफर के मुताबिक हवा की गति में शनिवार तक आंशिक वृद्धि होने से रविवार तक वायु गुणवत्ता ‘खराब’ श्रेणी में जा सकती है।
दिल्ली स्थित थिंक टैंक काउंसिल ऑन इनर्जी, इनवायरोन्मेंट एंड वाटर के विश्लेषण के मुताबिक दिल्ली के वायु प्रदूषण में 18 से 39 प्रतिशत की हिस्सेदारी परिवहन के चलते सड़कों से उड़ने वाली धूल की है।
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