चेन्नई, 21 नवंबर तमिलनाडु में विपक्षी अन्नाद्रमुक ने कहा है कि कल्लाकुरिची जहरीली शराब त्रासदी की जांच केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को सौंपने के मद्रास उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ राज्य सरकार उच्चतम न्यायालय में अपील नहीं करे, जिसकी सत्तारूढ़ द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) ने बृहस्पतिवार को कड़ी आलोचना की।
द्रमुक ने कहा कि इसके पहले अन्नाद्रमुक एक मामले को केंद्रीय एजेंसी को स्थानांतरित करने के फैसले के खिलाफ शीर्ष अदालत पहुंची थी।
द्रमुक नेता आर एस भारती ने कहा कि 2018 में जब उनकी पार्टी ने अन्नाद्रमुक शासन के तहत राजमार्ग विभाग में लगभग 4,800 करोड़ रुपये के कथित भ्रष्टाचार को लेकर मद्रास उच्च न्यायालय में याचिका दायर की तो अदालत ने सीबीआई जांच का आदेश दिया था।
द्रमुक के संगठन सचिव और पूर्व सांसद भारती ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘हमने सीबीआई से जांच की मांग नहीं की थी, लेकिन अदालत ने इसका निर्देश दिया...वह पलानीस्वामी ही थे जिन्होंने सीबीआई जांच के खिलाफ उच्चतम न्यायालय से स्थगनादेश हासिल किया था।’’
भारती उस मामले में याचिकाकर्ता थे। पलानीस्वामी 2017 से 2021 तक मुख्यमंत्री थे। अन्नाद्रमुक शासन के दौरान, पलानीस्वामी के पास राजमार्ग विभाग भी था। जब यह मामला बाद में शीर्ष अदालत में सुनवाई के लिए आया तो द्रमुक नेता ने कहा कि उनकी पार्टी ने कहा है कि उसे सीबीआई जांच के खिलाफ पलानीस्वामी की याचिका पर कोई आपत्ति नहीं है।
सत्तारूढ़ दल के नेता ने संकेत दिया कि सीबीआई जांच की मांग करना उनकी पार्टी का पसंदीदा विकल्प नहीं रहा है। सीबीआई पर परोक्ष रूप से निशाना साधते हुए उन्होंने तिरुपुर में 2016 में राज्य विधानसभा चुनाव से पहले एक कंटेनर लॉरी में रखे 570 करोड़ रुपये की जब्ती के मामले में उच्च न्यायालय द्वारा निर्देशित सीबीआई जांच के नतीजे पर आश्चर्य जताया।
मद्रास उच्च न्यायालय ने 20 नवंबर को कल्लाकुरिची जहरीली शराब त्रासदी मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी, जिसमें अवैध शराब पीने से 67 लोगों की मौत हो गई थी।
कानून मंत्री एस रेगुपति ने कहा कि मुख्यमंत्री एमके स्टालिन उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ उच्चतम न्यायालय में अपील करने पर निर्णय लेंगे और कहा कि राज्य सरकार को अपील करने का अधिकार है।
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