नयी दिल्ली, 19 जून : अडाणी समूह ऊर्जा बदलाव परियोजनाओं और विनिर्माण क्षमता में 100 अरब अमेरिकी डॉलर से अधिक का निवेश करेगा. समूह के चेयरमैन गौतम अडाणी ने बुधवार को यह जानकारी दी. समूह का मकसद हरित ऊर्जा उत्पादन के लिए जरूरी सभी प्रमुख कलपुर्जों का विनिर्माण करना है. सूर्य की रोशनी से बिजली का उत्पादन करने के लिए सौर पार्क और पवन फार्म बनाने के अलावा समूह हरित हाइड्रोजन, पवन ऊर्जा टर्बाइन और सौर पैनल बनाने के लिए इलेक्ट्रोलाइजर विनिर्माण सुविधाएं स्थापित कर रहा है. हरित हाइड्रोजन को स्वच्छ ऊर्जा द्वारा संचालित इलेक्ट्रोलाइजर की मदद से पानी से हाइड्रोजन को विभाजित करके बनाया जाता है. इसे उद्योग के साथ-साथ परिवहन क्षेत्र को कॉर्बन-मुक्त करने के लिए एक संभावित उपाय के रूप में देखा जा रहा है.
क्रिसिल द्वारा आयोजित ‘‘बुनियादी ढांचा-भारत के भविष्य के लिए उत्प्रेरक’ कार्यक्रम को संबोधित करते हुए अडाणी ने कहा कि ऊर्जा बदलाव और डिजिटल बुनियादी ढांचा अरबों डॉलर के अवसर हैं जो भारत को स्थानीय और वैश्विक स्तर पर बदल देंगे. उन्होंने कहा, ‘‘अगले दशक में हम ऊर्जा बदलाव के क्षेत्र में 100 अरब डॉलर से अधिक का निवेश करेंगे और अपनी एकीकृत नवीकरणीय ऊर्जा मूल्य श्रृंखला का और विस्तार करेंगे. हमारी मूल्य श्रृंखला में पहले से प्रत्येक प्रमुख कलपुर्जें का विनिर्माण शामिल है. कोयले-से-बंदरगाह क्षेत्र में कार्यरत समूह ‘दुनिया का सबसे कम महंगे हरित इलेक्ट्रॉन’ का उत्पादन करना चाहता है जो कई क्षेत्रों के लिए ‘फीडस्टॉक’ का काम करेगा. यह भी पढ़ें : प्रधानमंत्री ने विश्व सिकल सेल दिवस पर इस बीमारी पर काबू पाने की अपनी प्रतिबद्धता दोहराई
अडाणी ने कहा, ‘‘और ऐसा करने के लिए हम पहले से ही कच्छ जिले (गुजरात में) के खावड़ा में दुनिया का सबसे बड़ा एकल-स्थल नवीकरणीय ऊर्जा पार्क बना रहे हैं. केवल इस एकल स्थान से 30 गीगावाट बिजली पैदा होगी, जिससे हमारी कुल नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता 2030 तक 50 गीगावाट पर पहुंच जाएगी.’’ अडाणी ने कहा कि ऊर्जा बदलाव का क्षेत्र वैश्विक ऊर्जा परिदृश्य को हमेशा के लिए मौलिक रूप से बदल देगा. उन्होंने कहा कि 2023 में वैश्विक ऊर्जा बदलाव बाजार का मूल्य लगभग 3,000 अरब डॉलर था, जिसके बढ़कर 2030 तक 6,000 अरब डॉलर पर पहुंचने का अनुमान है. उसके बाद 2050 तक यह हर 10 साल में दोगुना हो जाएगा.