देश की खबरें | सरकार ने जिन ट्वीट को ‘ब्लॉक’ करने के आदेश दिए उनमें 50-60 प्रतिशत अहानिकारक :ट्विटर

बेंगलुरु, 26 सितंबर कर्नाटक उच्च न्यायालय ने कुछ अकाउंट, यूआरएल और ट्वीट ‘‘ब्लॉक’’ करने संबंधी केंद्र सरकार के आदेशों के खिलाफ माइक्रोब्लॉगिंग साइट ट्विटर की एक याचिका पर सोमवार को सुनवाई की।

ट्विटर ने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का हनन किये जाने और सामग्री हटाने के लिए इस सोशल मीडिया मंच को निर्देश देने से पहले कथित उल्लंघनकर्ताओं को नोटिस जारी नहीं किये जाने के आधार पर सरकार के आदेशों को चुनौती दी थी।

इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने ट्विटर की याचिका पर एक सितंबर को 101 पृष्ठों का एक बयान दाखिल किया था।

सोमवार को ट्विटर की ओर से अदालत में पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता अरविंद दतार ने दलील दी कि कंपनी सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम में निर्धारित नियमों का पालन कर रही है।

डिजिटल माध्यम से अदालत में पेश हुए दतार ने दलील दी कि कथित उल्लंघनकर्ताओं को नोटिस जारी किये बगैर उसे (ट्विटर को) अकाउंट हटाने के लिए कहे जाने पर एक मंच के रूप में ट्विटर केंद्र द्वारा प्रभावित किया गया।

उनके मुताबिक, केंद्र ने कई अकाउंट को बंद करने को कहा जो उसके कारोबार को प्रभावित करेगा।

उन्होंने कहा कि कई बड़ी हस्तियों के अकाउंट ट्विटर पर हैं।

दतार ने यह दलील भी दी कि अनुपयुक्त प्रतीत होने वाले ट्वीट को ‘ब्लॉक’ करने के बजाय, राजनीतिक सामग्री वाले अकाउंट को खुद ही ब्लॉक करने को कहा जा रहा है।

उन्होंने दिल्ली में हुए किसानों के प्रदर्शन का जिक्र किया और दावा किया कि मीडिया में प्रसारित की गई सामग्री को ट्विटर पर ‘ब्लॉक’ करने को कहा गया था।

उन्होंने दलील दी , ‘‘किसानों के प्रदर्शन के दौरान मुझसे अकाउंट ब्लॉक करने को कहा गया था। टीवी और प्रिंट मीडिया खबरें प्रकाशित/प्रसारित कर कर रही हैं। मुझे (ट्विटर को) अकाउंट ब्लॉक करने क्यों कहा जा रहा है?’’

दतार ने उच्चतम न्यायालय बनाम श्रेया सिंघल मामले का जिक्र किया और कहा कि अकाउंट ‘ब्लॉक’ करने का आदेश जारी करने से पहले ट्विटर जैसे मध्यस्थों को नोटिस जारी किया जाना और उनका पक्ष सुनना अनिवार्य है।

उन्होंने कहा कि इसलिए उन्होंने दावा किया है कि मंत्रालय द्वारा जारी किया गया इस तरह का आदेश उच्चतम न्यायालय के फैसले और संबंद्ध अधिनियम (सूचना प्रौद्योगिकी ब्लॉक कार्रवाई नियम 6 और 8) के खिलाफ है।

वरिष्ठ अधिवक्ता ने अकाउंट ‘ब्लॉक’ करने के लिए दिए गए एक आदेश का उदाहरण दिया, जिसमें ट्विटर को 1,178 अकाउंट ‘ब्लॉक’ करने को कहा गया था।

दतार ने दलील दी कि ट्विटर जिन ट्वीट को अनुपयुक्त समझता है उसे खुद ही ‘ब्लॉक’ कर देता है। उन्होंने खालिस्तान का समर्थन करने वाले ट्वीट को ट्विटर द्वारा ‘ब्लॉक’ किये जाने का उदाहरण भी दिया।

उन्होंने कहा कि सरकार ने जिन ट्वीट को ‘ब्लॉक’ करने को कहा था उनमें से 50 से 60 प्रतिशत ट्वीट ‘‘अहानिकारक’’ हैं।

बहरहाल, उच्च न्यायालय ने सुनवाई 17 अक्टूबर के लिए स्थगित कर दी।

(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)