Delhi Air Pollution: दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण के बीच अस्पतालों में सांस संबंधी मामलों में 30 से 40 फीसदी की वृद्धि
Delhi Air Pollution | PTI

नयी दिल्ली, 23 अक्टूबर: राष्ट्रीय राजधानी में लगातार खराब होती आबोहवा के बीच अस्पतालों में श्वास संबंधी मामलों में 30 से 40 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई है. श्वास रोग विशेषज्ञों ने कहा कि बच्चे और बुजुर्ग प्रदूषण के दुष्प्रभावों के प्रति सबसे ज्यादा संवेदनशील हैं. उन्होंने लोगों को घर से बाहर नहीं निकलने और धूल के संपर्क में आने से बचने की सलाह दी. दिल्ली का वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) पिछले एक हफ्ते से अधिक समय से ‘खराब’ श्रेणी में है.

बुधवार सुबह राष्ट्रीय राजधानी के आसमान में धुंध की मोटी परत छाई रही. दोपहर तीन बजे शहर का एक्यूआई 367 दर्ज किया गया, जो ‘बहुत खराब’ श्रेणी में आता है. कई निगरानी स्टेशन पर वायु गुणवत्ता पहले ही ‘गंभीर’ श्रेणी में पहुंच चुकी है.

गुरुग्राम स्थित पारस हेल्थ अस्पताल के वरिष्ठ डॉक्टर अरुणेश कुमार ने कहा, “हम श्वसन संबंधी मामलों में जबरदस्त वृद्धि देख रहे हैं और अस्पतालों ने 30 से 40 फीसदी अधिक मरीज आने की जानकारी दी है. इस वृद्धि के लिए मुख्य रूप से वायु प्रदूषण का बढ़ता स्तर जिम्मेदार है. ठंडे मौसम और स्थिर हवा के कारण वातावरण में पीएम2.5, पीएम10 और नाइट्रोजन डाइऑक्साइड (एनओ2) जैसे प्रदूषक तत्वों का स्तर बढ़ जाता है.”

पीएम2.5 का मतलब 2.5 माइक्रोमीटर या उससे कम व्यास वाले सूक्ष्म कणों से है, जबकि पीएम10 कणों का व्यास 10 माइक्रोमीटर या उससे कम होता है. दोनों ही कण श्वास प्रणाली के रास्ते शरीर में प्रवेश करते हैं और कई गंभीर बीमारियों एवं स्वास्थ्य संबंधी जटिलताओं का कारण बनते हैं.

मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज की रेजिडेंट डॉक्टर अंशिता मिश्रा ने कहा कि वायु प्रदूषण ने अपना प्रभाव दिखाना शुरू कर दिया है और बाह्य रोगी विभाग (ओपीडी) में मरीज सूखी खांसी और आंखों में जलन जैसी शिकायतें लेकर आ रहे हैं.

डॉ. मिश्रा ने आशंका जताई कि दिवाली के बाद और पड़ोसी राज्यों में किसानों द्वारा पराली जलाने की शुरुआत करने के बाद श्वास संबंधी शिकायतों के मामले और बढ़ेंगे. उन्होंने लोगों को मास्क पहनने, बाहरी गतिविधियों से बचने और पटाखे जलाने से बचने की सलाह दी.

डॉ. मिश्रा ने यह भी कहा कि अच्छा ‘सनस्क्रीन’ लगाए बिना बाहर न निकलें. उन्होंने कहा, “दिल्ली जैसे मेट्रो शहरों में हवा की खराब गुणवत्ता के कारण हर गुजरते दिन के साथ बच्चों में अस्थमा और एलर्जी का खतरा बढ़ रहा है. वे धूल के प्रति अधिक संवेदनशील भी बन रहे हैं. उन्हें त्वचा संबंधी समस्याओं का भी सामना करना पड़ रहा है.”

वरिष्ठ चिकित्सक एवं टीबी (क्षयरोग) विशेषज्ञ डॉ. मुकुल मोहन माथुर ने ‘पीटीआई-’ से बातचीत में बताया कि वायु प्रदूषण के कारण ज्यादा उम्र के वयस्कों में अस्थमा और ब्रॉन्काइटिस जैसी श्वास समस्याओं के मामले 25 से 30 फीसदी बढ़ गए हैं.

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