बहुत सारे तुर्क क्यों ले रहे हैं जर्मनी की नागरिकता?
प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credit: Image File)

2024 में जर्मन नागरिक बनने वाले तुर्की लोगों की संख्या दोगुनी हो गई. ऐसा क्यों हो रहा है?तुर्की के नागरिकों के लिए जर्मनी लगातार आकर्षक होता जा रहा है. रोजगार व पढ़ाई की इच्छा इसके प्रमुख कारण हैं. जर्मनी के इमीग्रेशन आंकड़े बताते हैं कि 2024 में कुल 22,525 तुर्क नागरिकों को जर्मन पासपोर्ट मिला. 2023 की तुलना में यह 110 फीसदी इजाफा है. जर्मन पासपोर्ट हासिल करने वालो में तुर्की के लोग अब सीरिया के बाद दूसरे नंबर पर है.

अलाज सुमेर उन तुर्क नागरिकों में शामिल हैं जिन्होंने जर्मन पासपोर्ट लेने का फैसला किया. सुमेर करीब आठ साल पहले मास्टर डिग्री के लिए जर्मनी आए थे. अब वह एक वकील हैं और बर्लिन स्थित एक एनजीओ के लिए काम करते हैं. नौकरी के साथ ही सुमेर संवैधानिक कानून में डॉक्टरेट भी कर रहे हैं. सुमेर ने डीडब्ल्यू से कहा कि जर्मन नागरिकता बहुत अधिक व्यावहारिक है, इसके बिना "आप हमेशा नौकरशाही से निपटने में उलझे रहते हैं- और यहां यह बहुत ज्यादा है. सिर्फ रेजीडेंट परमिट हासिल करना ही यातना जैसा हो सकता है."

इस्तांबुल के प्रतिष्ठित बोगाजीसी विश्वविद्यालय से ग्रैजुएशन करने वाले आईटी विशेषज्ञ बुराक केसेली 2016 में जर्मनी आए. केसेली करियर बनाने के लिए यहां आए थे. अब वह कई साल से प्राइवेट सेक्टर में काम कर रहे हैं और बर्लिन में ही रह रहे हैं. अतीत को याद करते हुए केसेली कहते हैं, "मैं कई वर्षों से जर्मनी में रह रहा हूं और धाराप्रवाह भाषा बोलता हूं. इतना वक्त बिताने के बाद, मैं राजनीतिक रूप से अपनी बात कहने में सक्षम होना चाहता था. जर्मन पासपोर्ट की ताकत भी एक महत्वपूर्ण कारक है... इसके साथ, मैं बिना वीजा के दुनिया भर के कई देशों की यात्रा कर सकता हूं."

2025 के वैश्विक पासपोर्ट सूचकांक के अनुसार, ताकतवर पासपोर्टों की सूची में जर्मनी का पासपोर्ट पांचवें नंबर पर है, यूएई, स्पेन, सिंगापुर और फ्रांस के बाद. जर्मन पासपोर्ट 131 देशों में वीजा मुक्त प्रवेश देता है, जबकि तुर्की के पासपोर्ट से सिर्फ 75 देशों में ही वीजा फ्री एंट्री की अनुमति है.

दोहरी नागरिकता से बड़ा फायदा

जून 2024 हुए जर्मन नागरिकता सुधारों ने नागरिकता के प्रति ललक को काफी बढ़ावा दिया. उन सुधारों के तहत दोहरी नागरिकता देने का फैसला किया गया. यह रियायत आप्रवासियों के लिए दूसरा पासपोर्ट लेने का एक बड़ा प्रोत्साहन बन चुकी है.

जर्मनी की पिछली सरकार ने नागरिकता के लिए देश में प्रवास की अवधि आठ साल से घटाकर पांच वर्ष कर दिया था. इसके साथ ही जर्मन समाज में मेल मिलाप की खास क्षमता दिखाने वालों के लिए इसे और ज्यादा घटाकर तीन साल कर दिया था. हालांकि बाद में चांसलर फ्रीडरिष मैर्त्स के नेतृत्व में बनी नई सरकार ने मई 2025 में तीन साल के नियम को खत्म कर दिया. लेकिन दोहरी नागरिकता मॉडल का बरकरार रखा गया है, यानी आप्रवासी अपना मूल पासपोर्ट रख सकते हैं.

हाल तक, जर्मनी में सभी आप्रवासियों (स्विस और यूरोपीय संघ के देशों के पासपोर्ट धारकों को छोड़कर) को जर्मन पासपोर्ट देने से अपनी मूल नागरिकता छोड़नी पड़ती थी. अपने मूल देश के साथ भावनात्मक, पारिवारिक और व्यावसायिक जुड़ाव के कारण कई आप्रवासियों ने लंबे समय तक जर्मनी में रहने के बाद भी जर्मन नागरिकता नहीं ली. अनुमान है कि जर्मनी में रहने वाले करीब 30 लाख तुर्क इसी असमंजस से जूझते रहे.

अलाज सुमेर कहते हैं कि वह अपनी तुर्की की नागरिकता कभी नहीं छोड़ना चाहते थे, "मैं अपना वोट देने का अधिकार नहीं छोड़ना चाहता था." उन्हें आज भी लगता है कि तुर्की के पासपोर्ट का फायदा उन देशों में है जिनके साथ अंकारा के संबंध जर्मनी के मुकाबले बेहतर हैं. बुराक केसेली के पास भी दोहरी नागरिकता है. दो पासपोर्ट रखने की संभावना को वह "बहुत सकारात्मक" बताते हैं, लेकिन वह यह भी मानते हैं कि वे किसी भी तरह से जर्मन नागरिकता चाहते थे.

तुर्की में राजनीतिक दमन और आसमान छूती महंगाई

तुर्की में राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक स्थिति भी विदेश में बसने का एक मुख्य कारण है. सुमेर कहते हैं, "मैं एक शिक्षाविद बनना चाहता था, लेकिन मुझे नहीं लगता कि स्वतंत्र रूप से तुर्की में ऐसा करना वास्तव में संभव है. जब हालात बिगड़े तो मैं वहां से निकल गया."

​केसेली कहते हैं, "अगर मैंने जर्मनी के अलावा किसी और देश में जाने का विकल्प चुना होता तो मुमकिन है कि मैं वहां भी नागरिकता के लिए एप्लाई करता."

यूरोप में "गोल्डन पासपोर्ट" पर प्रतिबंध

तुर्की में राजनीतिक माहौल बीते कई सालों से बिगड़ता जा रहा है. मानवाधिकार संगठन लगातार सरकार पर अभिव्यक्ति और प्रेस की आजादी के उल्लंघन के आरोप लगा रहे हैं. मार्च 2025 में ही, राष्ट्रपति रेचेप तैयप एर्दोगान की सरकार ने अपने सबसे मजबूत प्रतिद्वंद्वी और इस्तांबुल के मेयर इकरम इमामोग्लू को गिरफ्तार कर लिया. इसके अलावा, बीते कुछ बरसों से तुर्की की अर्थव्यवस्था भी हांफ रही है. 2015 में, एक यूरो की कीमत लगभग 2.3 तुर्की लीरा थी, अब यह लगभग 46 लीरा है.

'घर' तो हमेशा तुर्की रहेगा

लंबे समय तक जर्मनी में बसने बावजूद, कई तुर्क अभी भी अपनी पुरानी संस्कृति से गहरा भावनात्मक जुड़ाव महसूस करते हैं और तुर्की को अपना घर मानते हैं. सुमेर कहते हैं, "जर्मनी कभी मेरे लिए घर नहीं बन पाया. मैं खुद को जर्मन नहीं कहूंगा. लेकिन अगर मैं ऐसा कहूं तो भी जर्मन लोग मुझ पर हंसेंगे- और ये ऐसा ही है."

केसेली कहते हैं, "मेरे सभी प्रियजन तुर्की में हैं. मैंने उनसे कभी संपर्क नहीं तोड़ा. मैं आना जाना जारी रखूंगा. मैं भले ही हमेशा ताजा खबरें ना भी जानूं तो भी मैं तुर्की का संगीत सुनता हूं. मैं हमेशा तुर्की को अपना घर मानूंगा. जर्मनी में मुझे घर जैसा तो अहसास नहीं होता."

जर्मन बनाम पक्के जर्मन

सुमेर कहते हैं कि वे जर्मनी में उनकी जिंदगी बढ़िया चल रही है, लेकिन वे यह भी स्वीकार करते हैं कि उन्हें ऐसा नहीं महसूस नहीं होता कि वह वास्तव में यहीं के हैं, "मुझे नहीं लगता कि जर्मन पासपोर्ट मिलने पर भी आपको तुरंत स्वीकार कर लिया जाता हो- मेरे मामले में तो ऐसा बिल्कुल नहीं था."

वे अन्य अप्रवासियों के अनुभवों को पिरोते हुए कहते हैं, "मैं खुद को जर्मनी से ज्यादा तुर्की के करीब महसूस करता हूं. मेरे लिए यह साफ है कि मैं सिर्फ कागजों में ही जर्मन हूं. भले ही आप जर्मन मानकों के अनुसार जीवन बिताएं और उन्हें पूरी तरह अपना लें- फिर भी आप हमेशा एक आप्रवासी ही रहेंगे."

सुमेर रोजमर्रा के भेदभाव की टीस बयान करते हुए कहते हैं कि जब उन्होंने नागरिकता लेने के बाद एक अपार्टमेंट खोजने की कोशिश की, तो उन्हें अपना असली नाम बताने के बाद ऑनलाइन पूछताछ में कोई जवाब नहीं मिलता था. फिर उन्होंने नकली नाम बताना शुरू किया, इसके बाद सब बदल गया. सुमेर कहते हैं, "यदि आपका नाम जर्मन नहीं है तो जर्मन पासपोर्ट भी आपके लिए कोई खास काम नहीं आएगा."