
Islamic Preacher Supports Indian Army: जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में आतंकी हमले के बाद से भारत और पाकिस्तान के बीच तनातनी लगातार बढ़ती जा रही है. दोनों देशों के बीच जारी बयानबाजी के बीच एक संभावना जताई जा रही है कि पाकिस्तान के नापाक हरकतों को लेकर भारत हमला कर सकता है. दोनों देशों के तानातानी के बीच पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत से एक इस्लामिक उपदेशक का बड़ा बयान सामने आया है, जिसने राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी है। उपदेशक ने खुले मंच पर कहा कि अगर भारत पाकिस्तान पर हमला करता है, तो वह और उनका पख्तून समुदाय पाकिस्तानी सेना के खिलाफ भारत का साथ देंगे.
इस्लामिक उपदेशक का बयान
उपदेशक का कहना था – “पाकिस्तानी सेना ने पख्तूनों पर इतने ज़ुल्म किए हैं कि अब हम उनके साथ खड़े नहीं हो सकते।ल. अगर भारत हमला करता है तो हम भारतीय सेना का साथ देंगे. तुम सोचते हो कि हम पाकिस्तान ज़िंदाबाद बोलेंगे? कभी नहीं!” इस बयान का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है और पाकिस्तान के कई राजनीतिक विश्लेषकों व सेना समर्थकों में इसे लेकर रोष देखा जा रहा है.
इस्लामिक उपदेशक का Pak के खिलाफ बड़ा बयान
Islamic Preacher in Khyber Pakhtunkhwa of Pakistan: “If India attacks Pakistan, we Pashtun will immediately stand with the Indian Army against Pakistan Army. They have committed so many atrocities against us Pashtun, and you think we will say Zindabad for Pakistan? Never”. pic.twitter.com/GA7zi9UCJ8
— Aditya Raj Kaul (@AdityaRajKaul) May 5, 2025
पश्तूनों का गुस्सा क्यों?
खैबर पख्तूनख्वा और उससे लगे आदिवासी क्षेत्रों में लंबे समय से आरोप लगते रहे हैं कि पाकिस्तानी सेना ने आतंकवाद के खिलाफ अभियानों की आड़ में आम नागरिकों, खासकर पश्तूनों, के साथ बर्बरता की है. जबरन गायब किए गए युवाओं, फर्जी मुठभेड़ों और नागरिकों पर अत्याचार के मामलों को लेकर वहाँ का जनमानस खासा नाराज़ है.
PTM आंदोलन का प्रभाव
पश्तून तहफ़्फ़ुज़ मूवमेंट (PTM) नामक संगठन भी वर्षों से इसी मुद्दे को उठाता आ रहा है. वह लगातार यह मांग करता रहा है कि पाकिस्तानी सेना के अत्याचारों की जांच हो और दोषियों को सज़ा दी जाए.
राजनीतिक माहौल में हलचल
इस बयान से पाकिस्तान के राजनीतिक गलियारों में भी उथल-पुथल मच गई है. कुछ कट्टरपंथी इस बयान को देशद्रोह करार दे रहे हैं, तो वहीं कुछ बुद्धिजीवी इसे पश्तूनों की पीड़ा की एक गंभीर अभिव्यक्ति मान रहे हैं.