Oxygen Deficiency In Newborns : नवजात बच्चों में ऑक्सीजन की कमी के इलाज के लिए कारगर साबित हो सकती है वियाग्रा

Oxygen Deficiency In Newborns : एक रिसर्च से यह पता चला है कि इरेक्टाइल डिसफंक्शन के लिए इस्‍तेमाल होने वाली दवा 'वियाग्रा' उन बच्चों के इलाज में भी मदद कर सकती है, जिनमें गर्भावस्था के दौरान या जन्म के समय ऑक्सीजन की कमी हो जाती है.

newborn (img: Pixabay)

टोरंटो: एक शोध से यह पता चला है कि इरेक्टाइल डिसफंक्शन (स्तंभन दोष) के लिए इस्‍तेमाल होने वाली दवा 'वियाग्रा' उन शिशुओं के इलाज में भी मदद कर सकती है, जिनमें गर्भावस्था के दौरान या जन्म के समय (नवजात एन्सेफैलोपैथी) ऑक्सीजन की कमी हो जाती है.

ऑक्सीजन की कमी वाले नवजात शिशुओं के इलाज के विकल्प सीमित हैं. ऐसे मामलों में मस्तिष्क क्षति को रोकने के लिए चिकित्सीय हाइपोथर्मिया ही एकमात्र विकल्प है, लेकिन इसे प्राप्त करने वाले 29 प्रतिशत शिशुओं में बाद में तंत्रिका संबंधी बीमारियाँ विकसित होती हैं.

कनाडा में मॉन्ट्रियल चिल्ड्रेन हॉस्पिटल (एमसीएच) के शोधकर्ताओं की एक टीम ने एक शोध में कहा कि वियाग्रा ब्रांड के तहत बाजार में मौजूद सिल्डेनाफिल इसका एक संभावित समाधान हो सकता है.

टीम ने कहा, "यह निओनेटल एन्सेफैलोपैथी के कारण होने वाली मस्तिष्क क्षति को ठीक करने का प्रयास करने वाला पहला प्रूफ-ऑफ-कॉन्सेप्ट अध्ययन है."

चिकित्सीय हाइपोथर्मिया के बावजूद ऐसे सीक्वेल वाले शिशुओं में सिल्डेनाफिल का उपयोग सुरक्षित पाया गया.

एमसीएच में नियोनेटोलॉजिस्ट पिया विंटरमार्क ने कहा, "वर्तमान में जब किसी बच्चे के मस्तिष्क को क्षति पहुंचती है तो हम फिजियोथेरेपी, ऑक्यूपेशनल थेरेपी या विशेष देखभाल जैसी सहायक के अलावा कुछ भी नहीं दे पाते हैं. यदि हमारे पास ऐसी दवा होती जो मस्तिष्क की मरम्मत कर सकती तो यह इन शिशुओं का भविष्य बदल सकता था. यह उनके और उनके परिवार के लिए और सामान्य रूप से समाज के लिए एक जीत होगी.''

चूहे के मॉडल पर पिछले शोध से पता चला है कि सिल्डेनाफिल में वयस्क स्ट्रोक के रोगियों में न्यूरोरेस्टोरेटिव प्रॉपर्टी हो सकती हैं. इसलिए टीम ने नवजात शिशुओं के मस्तिष्क पर इसके प्रभाव का प्रयोग करने के बारे में सोचा.

नैदानिक अध्ययन के पहले चरण में मध्यम से गंभीर नवजात एन्सेफैलोपैथी के साथ 36 सप्ताह या उससे अधिक के गर्भ में पैदा हुए 24 शिशुओं को शामिल किया गया था, जिन्हें चिकित्सीय हाइपोथर्मिया पर रखा गया था और उपचार के बावजूद उन्हें मस्तिष्क-क्षति हुई थी.

समूह में से आठ को जन्‍म के दूसरे या तीसरे दिन से सात दिन तक दिन में दो बार (कुल 14 खुराक) सिल्डेनाफिल दिया गया. वहीं तीन अन्य शिशुओं को प्लेसिबो दिया गया.

आठ में से दो शिशुओं में, सिल्डेनाफिल की पहली खुराक के बाद रक्तचाप थोड़ा कम हो गया, लेकिन उसके बाद इसकी पुनरावृत्ति नहीं हुई, जबकि प्लेसीबो समूह में किसी भी बच्चे की मृत्यु नहीं हुई.

टीम ने कहा, ''अध्ययन से यह निष्कर्ष निकलता है कि जिनके मस्तिष्क में एन्सेफैलोपैथी के कारण क्षति हुई उनमें सिल्डेनाफिल सुरक्षित और अच्छी तरह से काम करता है.

इसके अलावा सिल्डेनाफिल से इलाज किए गए पांच नवजात शिशुओं की चोट आंशिक रूप से ठीक हो गई. 30 दिन के भीतर बच्‍चों में बेतहर नतीजे देखने को मिले.न्यूरोडेवलपमेंटल मूल्यांकन के लिए 10 में से नौ मरीजों को 18 महीने तक देखा गया था.

विंटरमार्क ने कहा, "इस अध्ययन में नामांकित सभी नवजात शिशुओं के मस्तिष्क को आधारभूत स्तर पर महत्वपूर्ण क्षति हुई थी. ऐसे में यह उम्मीद की गई थी कि चिकित्सीय हाइपोथर्मिया के साथ इलाज किए गए नवजात एन्सेफैलोपैथी वाले नवजात शिशुओं की सामान्य आबादी की तुलना में उनमें खराब न्यूरोडेवलपमेंटल परिणाम विकसित होंग.।''

शोधकर्ता ने कहा, "सिल्डेनाफिल सस्ता है और यह देने में भी आसान है. अगर यह अध्ययन के अगले चरण में भी मददगार साबित होता है तो यह दुनिया भर में नवजात एन्सेफैलोपैथी से पीड़ित शिशुओं के जीवन को बदल सकता है."

 

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