इंडोनेशिया: भूकंप झटके के बाद अब सुनामी ने मचाया कोहराम, कई घर बहे
इंडोनेशिया में 7.5 तीव्रता के भूकंप के बाद सुनामी ने दी दस्तक (Photo Credit: Twitter)

जकार्ताः इंडोनेशिया में जोरदार भूकंप के बाद सुनामी ने दस्तक दे दी है. सुवावेसी द्वीप के पालू शहर के समुद्र तट पर 10 फुट ऊंची समुद्र की लहरें उठ रही हैं. इसकी चपेट में सैकड़ों लोग आ गए है और कई लोगों के मरने की भी खबर है. इससे पहले 7.5 तीव्रता वाले भूकंप ने भारी तबाही मचाई. इसमें कई इमारतें जमींदोज हो गईं और कई लोग घायल हो गए. एक अधिकारी ने बड़े पैमाने पर नुकसान होने की आशंका जताई और लोगों से भूकंप के बाद लगने वाले तेज झटकों के खतरे के चलते घर से बाहर रहने की अपील की.

अमेरिकी भूगर्भ सर्वेक्षण के मुताबिक भूकंप का केंद्र मध्य सुलावेसी के डोंग्गाला कस्बे से पूर्वोत्तर में दस किलोमीटर की गहराई में बताया है. इसके चलते शुरुआत में सुनामी की चेतावनी भी जारी की गई थी. सुनामी की आशंका सही साबित हुई और कुछ ही समय बाद सागर में तेज लहरें उठीं. समंदर का पानी ऊंची लहरों के रूप में जमीनी इलाकों में घुस गया. फिलहाल सुनामी अपना कहर बरसा रही है.

समाचार एजेंसी एएफपी के मुताबिक इंडोनेशिया का पालू शहर शुक्रवार को शक्तिशाली भूकंप के बाद आई सुनामी से भी प्रभावित हुआ. आपदा एजेंसी ने इसकी जानकारी दी. इस भयंकर भूकंप ने इमारतों को तबाह करने के बाद परेशान निवासियों को अपना घर छोड़कर बाहर सड़क पर खड़े रहने को मजबूर कर दिया.

आपदा एजेंसी के भूकंप एवं सुनामी प्रभाग के अध्यक्ष रहमत त्रियोनो ने कहा, “पालू में सुनामी आई है.” इस शहर में करीब 3,50,000 लोग रहते हैं जो भूकंप के केंद्र से करीब 80 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है.

भूकंप आने का बाद स्थानीय आपदा एजेंसी के अधिकारी अकरिस ने कहा, कई घर गिर गए. उन्होंने कहा, “यह तब हुआ जब हमें पहले से ही इससे पहले आए भूकंप से प्रभावित नौ गावों से डेटा इकट्ठा करने में मुश्किल आ रही थी.” टेलीविजन फुटेज में लोगों को परेशान होकर इधर-उधर भागते हुए देखा जा सकता है. राष्ट्रीय आपदा मोचन एजेंसी द्वारा वितरित एक वीडियो में महिलाओं एवं बच्चों को जोर-जोर से रोते-बिलखते हुए देखा जा सकता है.

इंडोनेशिया की भौगोलिक स्थिति के कारण भूकंप का खतरा हरदम बना रहता रहता है. दिसंबर 2004 में पश्चिमी इंडोनेशिया के सुमात्रा में 9.3 तीव्रता का भूकंप आया था. इसके कारण आई सुनामी के कारण हिंद महासागर क्षेत्र के कई देशों में 2,20,000 लोग मारे गए थे.