TRF पर लगा वैश्विक आतंकी ठप्पा, भारत का दांव  पड़ा भारी; FATF की ग्रे लिस्ट में फिर फंस सकता है पाकिस्तान
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हाल ही में अमेरिका ने “द रेजिस्टेंस फ्रंट” (TRF) को एक वैश्विक आतंकी संगठन घोषित कर दिया है. यह वही संगठन है जिसे भारत पुलवामा आतंकी हमले का मास्टरमाइंड मानता है. इस कदम से भारत को पाकिस्तान के खिलाफ एक मजबूत मोर्चा मिला है, खासकर उस प्रयास में जिसमें भारत चाहता है कि पाकिस्तान को एक बार फिर FATF की ग्रे लिस्ट में डाला जाए. सरकारी सूत्रों के मुताबिक भारत ने फिर से FATF को पत्र लिखकर यह आग्रह किया है कि पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में डाला जाए.

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साल 2022 में पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट से बाहर किया गया था, लेकिन भारत लगातार यह कहता आ रहा है कि पाकिस्तान को जो आर्थिक सहायता मिलती है, उसका उपयोग आतंकवाद को बढ़ावा देने में हो रहा है.

FATF की चेतावनी और भारत की दलील

FATF (फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स) की हालिया अंतरिम रिपोर्ट में आतंकवाद की निंदा की गई है. यह अंतरराष्ट्रीय समुदाय की चिंता को दर्शाता है कि आतंकवाद के खिलाफ अब और सख्त रुख अपनाया जा रहा है. भारत ने यह भी कहा है कि पाकिस्तान की आतंकवादी संगठनों से जुड़ाव केवल TRF तक सीमित नहीं है, बल्कि यह कड़ी Hamas जैसे वैश्विक आतंकी संगठनों तक जाती है. यह अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा के लिए एक बड़ा खतरा है.

ग्रे लिस्ट का मतलब क्या होता है?

FATF की ग्रे लिस्ट में आने का मतलब है कि संबंधित देश धनशोधन (Money Laundering) और आतंकियों को वित्तीय मदद देने की निगरानी में है. इसका असर उस देश की अंतरराष्ट्रीय वित्तीय साख पर पड़ता है. IMF और विश्व बैंक जैसी संस्थाओं से कर्ज मिलना मुश्किल हो जाता है. विदेशी निवेश और व्यापार पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ता है. अगर समय रहते सुधार नहीं हुआ, तो उस देश को FATF की ब्लैक लिस्ट में भी डाला जा सकता है.

सितंबर-अक्टूबर में अहम बैठक

FATF की अगली बैठक सितंबर-अक्टूबर 2025 में होने की संभावना है. भारत पहले ही कई पत्र भेज चुका है और बैकडोर डिप्लोमेसी के ज़रिए मेक्सिको, अर्जेंटीना, कनाडा और डेनमार्क जैसे सदस्य देशों से संपर्क में है. अब जब अमेरिका ने TRF को आतंकी संगठन घोषित कर दिया है, तो भारत को उम्मीद है कि उसका पक्ष और मजबूत हुआ है.

भारत का कहना है कि पाकिस्तान को मिलने वाली आर्थिक सहायता का उपयोग अगर आतंक को पालने में हो रहा है, तो यह पूरी दुनिया के लिए खतरा है. इसलिए यह सिर्फ भारत का मुद्दा नहीं, बल्कि वैश्विक सुरक्षा का सवाल है. अमेरिका का कदम इस दिशा में एक सकारात्मक संकेत है.