जर्मनी के अस्पतालों में भाषा के चलते होती है दिक्कत
प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credit: Image File)

जर्मनी में कई भाषाएं बोली जाती हैं, लेकिन जर्मन ना बोलने वालों के लिए स्वास्थ्य सेवाएं हासिल करना अक्सर मुश्किल भरा होता है. सरकार इसके लिए अनुवाद की सुविधा देने की योजना बना रही है लेकिन उसमें भी कुछ अड़चनें हैं.स्वीडन की रहने वाली हेडविग स्किरगार्ड कुछ साल पहले भाषा विज्ञान की पढ़ाई करने के लिए जर्मनी के लाइपत्सिग शहर में रहने लगीं. कुछ महीनों बाद उन्हें डॉक्टर के पास जाने की जरूरत पड़ी. तब के अनुभव उन्हें अभी भी चिंता में डाल देते हैं. अब उन्हें जर्मनी में रहते और काम करते हुए कुछ साल बीत चुके हैं.

डीडब्ल्यू से बातचीत में वे कहती हैं, "मेरे डॉक्टर ने मुझे कुछ स्पेशलिस्ट डॉक्टर के पास जाने की सलाह दी. मैंने गूगल ट्रांसलेट और जो थोड़ी-बहुत जर्मन मुझे आती थी, उसकी मदद से उनसे संपर्क किया. मैंने उनसे पूछा कि क्या वे मुझसे अंग्रेजी में बात कर सकते हैं, लेकिन उनमें से कोई नहीं कर सकता था. फिर मैंने पूछा कि क्या कोई अनुवाद की सुविधा उपलब्ध है, लेकिन वह भी उपलब्ध नहीं थी. एक डॉक्टर ने सुझाव दिया कि मैं अनुवाद करने के लिए अपने किसी दोस्त या परिवार के सदस्य को लेकर आऊं. लेकिन यह संभव नहीं था क्योंकि यहां पर मेरा कोई परिवार नहीं था और ऐसा कोई दोस्त नहीं था जिसे मैं निजी मेडिकल चर्चा में साथ लाने में सहज महसूस करूं.”

क्या आप्रवासियों को जर्मनी में काम करने के लिए जर्मन सीखना जरूरी है?

वे याद करती हैं कि सबसे अजीब चीज उन्हें यह लगी थी कि डॉक्टरों को यह नहीं पता था कि जब उनके मरीजों की भाषा अलग हो, तब क्या करना चाहिए. वे पूछती हैं, "क्या मैं अपने शहर की पहली प्रवासी हो सकती हूं, जो बहुत अच्छी जर्मन बोलने की क्षमता के बिना ही मेडिकल प्रक्रिया से गुजरी हो? निश्चित तौर पर नहीं?”

स्किरगार्ड निश्चित तौर पर पहली नहीं थीं. जर्मनी के संघीय सांख्यिकी कार्यालय ने 2023 में पाया था कि जर्मनी में रहने वाले 15 फीसदी लोग घर पर मुख्य रूप से जर्मन नहीं बोलते हैं. फिर भी स्किरगार्ड को यह जानकर हैरानी हुई कि जब स्वास्थ्यकर्मी जर्मन ना बोलने वाले मरीजों से मिलते हैं तो उनके लिए कुछ व्यवस्थाएं मौजूद हैं. लेकिन कई डॉक्टरों को ही इनके बारे में नहीं पता होता है. बाद में, स्किरगार्ड को अलग-अलग भाषाएं बोलने वाले डॉक्टरों का एक उपयोगी डेटाबेस मिला. हालांकि, उनके डॉक्टर को इस बारे में नहीं पता था.

वे कहती हैं, "यह तनाव भरा और डरावना था और मैं आशा करती हूं कि ऐसा किसी और के साथ ना हो. मुझे कुछ दूसरे मामलों की भी जानकारी है, जो इतने अच्छे नहीं रहे. डॉक्टर उनके कम्फर्ट जोन और क्षमताओं से इतर जाकर स्वास्थ्य सुविधाएं देने के लिए परेशानी और दबाव महसूस कर रहे हैं.”

अस्पतालों में अनुवाद की सुविधा मिलने की जरूरत

ऐसा लगता है कि ज्यादातर जर्मन डॉक्टर इससे सहमत हैं. मई महीने में जर्मन मेडिकल एसोसिएशन के डॉक्टरों की कॉन्फ्रेंस ने दो प्रस्तावों के समर्थन में मतदान किया. इन प्रस्तावों में मुफ्त और पेशेवर अनुवाद सेवाओं की मांग की गई थी. उनका कहना था कि ऐसी सुविधाओं के ना होने के चलते उनके लिए अपना काम करना मुश्किल होता जा रहा है.

एक प्रस्ताव में लिखा था, "हर रोज, हम डॉक्टर ऐसे मरीजों का इलाज करते हैं, जिनकी मातृभाषा जर्मन नहीं है. अक्सर परिवार के सदस्यों, स्वास्थ्यकर्मियों या अन्य कर्मचारियों की मदद से ही बातचीत संभव हो पाती है. यह गैर-पेशेवर भाषायी मध्यस्थता ना सिर्फ अनुवादक के लिए बल्कि स्वास्थ्य कर्मियों और मरीजों के लिए भी एक बोझ है. इससे रोग की पहचान करना और उचित उपचार देना जटिल हो जाता है.

ऐसी सेवाएं देना कोई नया विचार नहीं है. अन्य यूरोपीय देशों में, एक आम भाषा ढूंढना मरीज की नहीं बल्कि स्वास्थ्य सेवा प्रणाली की जिम्मेदारी होती है. स्किरगार्ड के देश स्वीडन में एक केंद्रीय व्यवस्था मौजूद है. जब डॉक्टरों को स्वीडिश ना बोलने वाले किसी मरीज से मिलना होता है तो वे इसके जरिए एक अनुवादक के साथ कॉन्फ्रेंस कॉल बुक कर सकते हैं. नॉर्वे में मरीजों के पास कानूनी अधिकार है कि उन्हें उनके स्वास्थ्य और उपचार से जुड़ी जानकारी उस भाषा में मिलनी चाहिए, जिसे वे समझते हैं. वहीं आयरलैंड की स्वास्थ्य सेवा ने दिशानिर्देश जारी किए हैं कि डॉक्टरों को अनुवादक कैसे ढूंढने चाहिए.

दूसरी ओर, जर्मनी में अकसर डॉक्टरों और मरीजों को उनके भरोसे ही छोड़ दिया जाता है. कई बार उन्हें दानकर्ताओं और स्वयंसेवकों पर निर्भर रहना पड़ता है. जैसे, लाइपत्सिग स्थित विश्वविद्यालय समूह ‘कम्युनिकेशन इन मेडिकल सेटिंग्स'. यह समूह डॉक्टरों की मरीजों के साथ होने वाली मुलाकातों के लिए अनुवादक की व्यवस्था करता है. मुख्य रूप से शरणार्थियों और शरण मांग रहे लोगों के लिए.

‘कम्युनिकेशन इन मेडिकल सेटिंग्स' की पॉलीना ने डीडब्ल्यू को बताया कि हम खुद को अनुवाद की कमी पूरी करने वाले के रूप में देखते हैं जो पेशेवर तौर पर होना चाहिए और उसका भुगतान होना चाहिए. लेकिन हम कमी देखते हैं क्योंकि राज्य, स्वास्थ्य बीमा कंपनियों, डॉक्टरों के कार्यालयों और अस्पतालों में से कोई भी इसके खर्च की जिम्मेदारी नहीं उठाएगा.”

अनुवाद सेवाओं का होना ‘अच्छा है' या ‘जरूरी है'?

चांसलर ओलाफ शॉल्त्स की गठबंधन सरकार इस समस्या के बारे में जानती है. उन्होंने 2021 के गठबंधन समझौते में यह वादा भी किया था कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा समूहों द्वारा अनुवाद सेवाओं का खर्च उठाने की व्यवस्था की जाएगी. जर्मनी के स्वास्थ्य मंत्रालय के एक प्रवक्ता ने डीडब्ल्यू से इस बात की पुष्टि की कि यह अभी भी योजना का हिस्सा है और यह सिफारिश की जाएगी कि गठबंधन में शामिल पार्टियां इसे स्वास्थ्य देखभाल मजबूतीकरण अधिनियम में शामिल करें.

लेकिन अभी तक यह नहीं हो सका है. ऐसा लगता है कि गठबंधन सरकार में मतभेदों के चलते यह रुका पड़ा है. बैंड मायो जर्मनी के माइंज विश्वविद्यालय में इंटर-कल्चरल कम्युनिकेशन के प्रोफेसर हैं. उन्होंने कई सालों तक भाषा, एकीकरण और संस्कृति से जुड़े मुद्दों का अध्ययन किया है. इसके अलावा वे सार्वजनिक संस्थानों की भाषा के लिए सुझावों की एक किताब के सह-लेखक भी हैं. उन्हें पिछले साल बुंडेस्टाग में यह समझाने के लिए बुलाया गया था कि यह कदम उठाना इतना जरूरी क्यों है.

उन्होंने डीडब्ल्यू से कहा, "हर कोई कहता है कि यह एक समस्या है और इसका समाधान निकालने की जरूरत है. लेकिन इसे राजनीतिक रूप से लागू करने में एक समस्या है.” वे तर्क देते हैं कि स्वास्थ्य सेवा प्रणाली के कुल बजट को देखते हुए, ऐसी सुविधाएं उपलब्ध करवाना तुलनात्मक रूप से कम खर्चीला होगा. उनकी समझ के मुताबिक गठबंधन ने फैसला किया कि अनुवाद सेवाएं का "होना अच्छा है”, बजाय इसके कि "उनका होना जरूरी है”. उन्होंने कहा कि इसे बजट और कर्ज रोकथाम पर हुई चर्चा के दौरान रोका गया था. उन्होंने उस नियम का जिक्र किया, जिसके तहत सरकार को अपना हिसाब-किताब संतुलित करना होता है और नए कर्ज लेने पर सख्त सीमाएं लगानी पड़ती हैं.

विदेशी डॉक्टरों से कैसे पेश आता है जर्मनी

एक बहुभाषायी समाज है जर्मनी

जैसा कि स्किरगार्ड और अन्य लोगों ने बताया कि जर्मनी अब कुशल श्रमिकों को आकर्षित करने की कोशिश कर रहा है. जर्मन आर्थिक संस्थान के मुताबिक, 2023 में करीब पांच लाख 70 हजार नौकरियां भरी नहीं जा सकीं. इसकी वजह से कंपनियों को परेशानी झेलनी पड़ी. सितंबर में शॉल्त्स ने केन्या के साथ एक कुशल श्रमिक समझौते पर हस्ताक्षर किए जिससे इस कमी को पूरा किया जा सके.

स्किरगार्ड कहती हैं, "बेशक, कुछ लोग कहेंगे कि जर्मन आधिकारिक भाषा है और जो कोई भी यहां रह रहा है, उसे यह भाषा सीखनी चाहिए. मैं इस बात से सहमत हूं. लेकिन जब कोई यहां केन्या से आता है और पहले महीने में ही उसकी हड्डी टूट जाती है तो क्या जब तक वे अच्छी जर्मन नहीं सीख लेते, उन्हें इलाज नहीं मिलना चाहिए? मुझे लगता है कि जर्मनी अगर कुशल प्रवासियों को आकर्षित करने वाला देश बनना चाहता है तो अनुवाद सेवाओं की मौजूदगी "जरूरी होनी चाहिए”, ना कि यह कि उनका "होना अच्छा होगा”.

मायो जैसे शोधकर्ता इस ओर ध्यान दिलाते हैं कि असलियत में जर्मनी एक बहुभाषी समाज है. बहुत सारे लोग अपने जीवन में कभी-कभार ही जर्मन बोलते हैं. एक अस्पताल में रिसर्च के दौरान मायो की मुलाकात एक 60 साल के पुर्तगाली व्यक्ति से हुई जो दिल का मरीज था. उस व्यक्ति ने एक जर्मन बूचड़खाने में 30 साल से ज्यादा वक्त तक काम किया था लेकिन उसे बहुत कम जर्मन आती थी.

वे कहते हैं, "वह व्यक्ति आमतौर पर दिन में काम करता था और शाम को एक पुर्तगाली सामाजिक क्लब में जाकर फुटबॉल देखता था. वह कभी भी जर्मन लोगों के ज्यादा संपर्क में नहीं रहा. उसे इसकी जरूरत भी क्यों है. उसकी जिंदगी ठीक चल रही थी. उसके पास जर्मन सीखने की कोई वजह ही नहीं थी.”

एक भाषाविद् होने के नाते स्किरगार्ड ने यहां बिताए चार सालों में जर्मन सीख ली है. लेकिन वे जिस विश्वविद्यालय में काम करती हैं, वहां कभी-कभार ही इसका इस्तेमाल करती हैं. वे कहती हैं, "आप कह सकते हैं कि यह बुरा है और इसे ऐसा नहीं होना चाहिए, लेकिन यही हाल है.”