अपनी चीन यात्रा से ठीक पहले, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने पश्चिमी देशों पर जमकर निशाना साधा है. उन्होंने अमेरिका और यूरोपीय देशों द्वारा रूस पर लगाए गए व्यापारिक प्रतिबंधों को "भेदभावपूर्ण" बताया है. यह बयान ऐसे समय में आया है जब यूक्रेन युद्ध के खर्च और इन प्रतिबंधों के कारण रूस की अर्थव्यवस्था मंदी की कगार पर खड़ी है.
पुतिन रविवार से चीन के चार दिनों के दौरे पर रहेंगे, जिसे क्रेमलिन (रूसी राष्ट्रपति का कार्यालय) ने "अभूतपूर्व" बताया है. चीन आज रूस का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है.
पुतिन के चीन दौरे का मकसद क्या है?
पुतिन का यह दौरा कई मायनों में खास है.
- SCO शिखर सम्मेलन: सबसे पहले, वह चीन के तियानजिन शहर में शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की दो दिवसीय बैठक में हिस्सा लेंगे. यह एक सुरक्षा-केंद्रित संगठन है, जिसमें भारत और ईरान जैसे देश भी स्थायी सदस्य हैं.
- शी जिनपिंग से मुलाकात: इसके बाद, पुतिन राजधानी बीजिंग जाएंगे, जहाँ वह चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ द्विपक्षीय बातचीत करेंगे.
- सैन्य परेड: वह द्वितीय विश्व युद्ध की समाप्ति के उपलक्ष्य में आयोजित एक विशाल सैन्य परेड में भी शामिल होंगे.
यह यात्रा दोनों नेताओं के बीच गहरे संबंधों को दर्शाती है. शी जिनपिंग भी इसी साल मई में मॉस्को में नाज़ी जर्मनी पर सोवियत संघ की जीत की 80वीं वर्षगांठ के मौके पर आयोजित सैन्य परेड में शामिल हुए थे. पिछले एक दशक में पुतिन और शी 40 से ज़्यादा बार मिल चुके हैं.
रूस के लिए चीन क्यों है इतना ज़रूरी?
जब से रूस ने 2022 में यूक्रेन पर हमला किया, तब से पश्चिमी देशों ने उस पर कई कड़े आर्थिक प्रतिबंध लगा दिए. ऐसे मुश्किल समय में चीन रूस के लिए एक बड़ी राहत बनकर सामने आया.
- रिकॉर्ड व्यापार: चीन ने रूस से भारी मात्रा में तेल खरीदा और बदले में रूस को कार से लेकर इलेक्ट्रॉनिक्स तक का सामान बेचा. इसी का नतीजा है कि 2024 में दोनों देशों के बीच व्यापार $245 बिलियन के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया.
- डॉलर को दरकिनार: पुतिन ने बताया कि अब रूस और चीन के बीच लगभग सारा व्यापार अमेरिकी डॉलर के बजाय उनकी अपनी करेंसी, यानी रूबल और युआन में हो रहा है.
- अन्य सामानों का निर्यात: तेल और गैस के अलावा, रूस अब चीन को पोर्क और बीफ जैसे कृषि उत्पाद भी बेच रहा है.
पुतिन और शी जिनपिंग ने 2022 में अपनी दोस्ती को "कोई सीमा नहीं" वाली रणनीतिक साझेदारी घोषित किया था. यह दौरा दिखाता है कि पश्चिमी दबाव के बीच ये दोनों देश अपने संबंधों को और भी ज़्यादा मजबूत करने में लगे हैं.













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