न्यूयॉर्क, 3 फरवरी : अमेरिकी प्रतिनिधि सभा ने प्रभावशाली विदेश मामलों की समिति से भारत की कटु आलोचक और पाकिस्तान समर्थक डेमोक्रेटिक पार्टी की सांसद इल्हान उमर को बाहर कर दिया. सदन ने गुरुवार को मुख्य रूप से यहूदियों के खिलाफ उनकी टिप्पणियों के लिए उन्हें उस समिति से हटाया. इस फैसले पर भारत की आलोचक प्रोग्रेसिव कॉकस की नेता डेमोक्रेट प्रमिला जयपाल ने भरे स्वर में कहा कि उन्हें पैनल से बाहर करना उनकी मजबूत और आवश्यक आवाज को चुप कराने का प्रयास था रिपब्लिकन की बदले की कार्रवाई है. उमर ने कहा, हम कांग्रेस में चुप रहने के लिए नहीं आए हैं., उन्होंने कहा कि निष्कासन के बावजूद, मेरी आवाज और तेज हो जाएगी. रिपब्लिकन माइक लॉलर ने कहा कि उमर को उनके शब्दों और कार्यों के लिए जवाबदेह ठहराया जा रहा है.
उमर डेमोक्रेटिक पार्टी के वामपंथी विंग के सदस्य हैं, जो स्क्वॉड नामक कट्टरपंथी समूह में चार में से एक हैं. कांग्रेस में तीन मुस्लिमों में से एक उमर मिनेसोटा में एक निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करती हैं. पाकिस्तान और उसके कब्जे वाले कश्मीर के हिस्से की यात्रा के दो महीने बाद उन्होंने पिछले साल जून में कांग्रेस में भारत की निंदा करने के लिए एक प्रस्ताव पेश किया, जिसे उन्होंने मानवाधिकारों और अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंघन कहा था. हालांकि वह वह प्रस्ताव पास नहीं हो सका था. यह ही पढ़ें : Pakistan Road Accident: पाकिस्तान में सड़क हादसे में 17 व्यक्तियों की मौत
अपनी पाकिस्तान यात्रा के दौरान वह नियंत्रण रेखा के करीब गई थीं और कहा कि था कि कश्मीर के बारे में दुनिया चिंतित नहीं हो रही है. अपनी यात्रा के दौरान वह प्रधान मंत्री शाबाज शरीफ से मिलीं थी, जिनके कार्यालय ने कहा कि वह उमर के साहस और उनके राजनीतिक संघर्ष को महत्व देते हैं. उमर ने 2019 में एक ऐसे बिल के खिलाफ भी मतदान किया, जो भारतीयों के लिए स्थायी निवास या ग्रीन कार्ड के लिए प्रतीक्षा समय में कटौती के संबंध में था.
उन्हें निष्कासन से बचाने के अंतिम प्रयासों में से एक में न्यूयॉर्क टाइम्स में एक एड प्रकाशित किया गया था, जिसमें भारत के प्रति उनके विरोध को उजागर किया गया था लेख में उद्धृत एक समिति की बैठक में राज्य के उप सचिव वेंडी शर्मन के साथ बहस में उमर ने लोकतांत्रिक रूप से चुने गए प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की तुलना चिली के तानाशाह ऑगस्टो पिनोशे से करने के लिए एक प्रचार अभियान चलाया. वह चीन का मुकाबला करने के लिए भारत के साथ घनिष्ठ संबंध बनाने की अमेरिकी नीतियों की आलोचना कर रही थीं.