पाकिस्तान में बुधवार को आम चुनाव संपन्न हुए और शुरुआती रुझानों में पाकिस्तान की तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) पार्टी ने अन्य पार्टियों के मुकाबले 119 सीटों पर स्पष्ट बढ़त हासिल की है. पीटीआई समर्थकों ने अंतिम नतीजों से पहले जश्न मनाना शुरू कर दिया है मगर इमरान खान ने जीत को लेकर अभी कोई ट्वीट या बयान जारी नहीं किया है. वैसे इमरान खान के लिए यहां तक का सफर काफी मुश्किल था. क्रिकेट छोड़ सियासत के मैदान में आने वाले इमरान को इस जीत के लिए 22 साल का लंबा इंतजार करना पड़ा.
1996 में तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी बनाने वाले इमरान खान को पहले चुनाव में केवल एक ही सीट मिली थी मगर क्रिकेट की तरह सियासत में भी उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और यहां भी फतह हासिल की. पाकिस्तानी अवाम के इमरान खान का समर्थन करने के 5 मुख्य कारण हैं, आइये उन्हें जानते हैं.
चुनाव कैंपेन:
इन चुनावों में इमरान खान ने बहुत ही आक्रामक चुनाव प्रचार किया. अपने कैंपेन में उन्होंने सोशल मीडिया का भी अच्छा इस्तेमाल किया. वे अपने कैंपेन के जरिए देश की युवा पीढ़ी से जुड़े. चुनावों से 6 महीने पहले बिलावल भुट्टो और उनके पिता आसिफ जरदारी को सबसे लोकप्रिय नेता माना जा रहा था मगर अपने आक्रामक कैंपेन के चलते इमरान उनसे आगे निकल गए. कई पूर्व और मौजूदा खिलाडियों ने इमरान के पक्ष में प्रचार भी किया.
A cricketer who became a politician? Or a man who was born to serve this nation, protect our people and lead us in to our own. And one day they will say, that this same man was once a phenomenal cricketer. The time is now for change, Our country Our history! #VoteForKaptaan
— Wasim Akram (@wasimakramlive) July 24, 2018
पनामा पेपर मामले में नवाज शरीफ का जेल जाना:
पाकिस्तान के सबसे बडे नेताओं में से एक नवाज शरीफ को भ्रष्टाचार के मामले में दोषी करार दिए जाने के बाद प्रधानमंत्री पद छोड़ना पड़ा था. चुनावों से कुछ दिनों पहले ही उन्हें जेल भी जाना पड़ा जिसका सीधा फायदा इमरान खान को मिला. नवाज से नाराज लोग उनका विकल्प धुंध रहे थे और उन्होंने इमरान खान को चुना. इमरान खान के खिलाफ भ्रष्टाचार का कोई मामला नहीं है और माना जा रहा है कि पाकिस्तान की जनता इसी बात को लेकर उनकी ओर सबसे ज्यादा आकर्षित हुई.
Abu Dhabi airport. pic.twitter.com/CtUK3vCkMu
— Maryam Nawaz Sharif (@MaryamNSharif) July 13, 2018
सेना का समर्थन:
सूत्रों की माने तो पाकिस्तान की सेना ने इस बार के चुनावों में इमरान खान का समर्थन किया था. शायद इसीलिए इमरान खान ने प्रचार के दौरान पाकिस्तानी सेना के खिलाफ कोई बयान नहीं दिया. बता दें कि पाकिस्तानी सेना वहां की सियासत में अहम भूमिका निभाती हैं.
अवाम को चाहिए था बदलाव:
पिछले दो दशकों में पाकिस्तान की सियासत शरीफ और भुट्टो के इर्दगिर्द ही रही हैं. बीच-बीच में सेना के दखल से पाकिस्तान के लोग उब गए थे. ऐसे में वे ऐसा आप्शन धुंध रहे थे जो सख्त शासक हो और जो सेना और जनता को साथ लेकर देश की तरक्की कर सके.
नए पाकिस्तान का निर्माण:
अपने चुनाव प्रचार के दौरान इमरान ने नए पाकिस्तान के निर्माण पर जोर दिया. उन्होंने युवाओं को तरक्की के सपने दिखाए. वर्तमान में पाकिस्तान में बेरोजगारी और गरीबी सबसे बड़ा मुद्दा है. लिहाजा इमरान खान के विकास के वादों ने युवाओं को काफी प्रभावित किया. उन्होंने अपनी छवि एक राष्ट्रवादी नेता के रूप बनाई. देशहित से जुड़े मुद्दे पर जनता के सामने उन्होंने खुलकर अपनी बात रखी.