
अंतरराष्ट्रीय राजनीति में एक हैरान करने वाला घटनाक्रम देखने को मिला है. पाकिस्तान ने एक ओर जहां पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को शांतिदूत बताते हुए उन्हें नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामांकित किया, वहीं ठीक अगले ही दिन ईरान पर हुए अमेरिकी हवाई हमलों की कड़ी आलोचना की है.
अमेरिकी हमले पर पाकिस्तान ने क्या कहा?
पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय ने रविवार को एक आधिकारिक बयान जारी किया. इस बयान में कहा गया है कि पाकिस्तान पश्चिम एशिया में बढ़ते तनाव को लेकर "गंभीर रूप से चिंतित" है.
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने लिखा कि अमेरिकी हमले "अंतरराष्ट्रीय कानून के सभी नियमों का उल्लंघन करते हैं." उन्होंने यह भी कहा कि संयुक्त राष्ट्र (UN) चार्टर के तहत ईरान को अपनी रक्षा करने का पूरा अधिकार है.
बयान में आगे कहा गया, “ईरान के खिलाफ चल रही आक्रामकता के कारण तनाव और हिंसा का बढ़ना बेहद परेशान करने वाला है. अगर तनाव और बढ़ा तो इसके पूरे क्षेत्र और उससे भी आगे गंभीर रूप से हानिकारक परिणाम होंगे.”
पाकिस्तान ने आम नागरिकों के जीवन और संपत्ति का सम्मान करने और संघर्ष को तुरंत समाप्त करने की आवश्यकता पर भी जोर दिया.
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- पाकिस्तान ने पहले डोनाल्ड ट्रंप को नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामांकित किया.
- ठीक अगले दिन ईरान पर हुए अमेरिकी हमले की कड़ी निंदा की.
- पाकिस्तान ने अमेरिकी हमले को अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन बताया है.
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Pakistan Condemns the US Attacks on the Nuclear Facilities of the Islamic Republic of Iran.
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— Ministry of Foreign Affairs - Pakistan (@ForeignOfficePk) June 22, 2025
ट्रंप को नोबेल शांति पुरस्कार का समर्थन क्यों?
इससे ठीक एक दिन पहले, पाकिस्तान ने सोशल मीडिया पर घोषणा की थी कि वह 2026 के नोबेल शांति पुरस्कार के लिए डोनाल्ड ट्रंप के नाम का समर्थन करेगा. पाकिस्तान सरकार के अनुसार, यह सिफारिश इस साल की शुरुआत में भारत-पाकिस्तान संकट के दौरान ट्रंप के "निर्णायक राजनयिक हस्तक्षेप और महत्वपूर्ण नेतृत्व" के सम्मान में की गई है.
दिलचस्प बात यह है कि यह घोषणा तब हुई जब खुद ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'ट्रुथ सोशल' पर कहा था कि उन्हें "कभी" नोबेल पुरस्कार नहीं मिलेगा. ट्रंप ने लिखा, "मुझे यह चार या पांच बार मिलना चाहिए था. वे मुझे नोबेल शांति पुरस्कार नहीं देंगे क्योंकि वे इसे केवल उदारवादियों को देते हैं."
कुल मिलाकर, पाकिस्तान के इन दो अलग-अलग बयानों ने दुनिया भर के राजनीतिक विशेषज्ञों को हैरान कर दिया है. एक तरफ वह एक अमेरिकी नेता को शांति के लिए सम्मानित करना चाहता है, तो दूसरी तरफ उसी देश की सैन्य कार्रवाई का कड़ा विरोध कर रहा है.