लंदन, 20 जनवरी : कोविड-19 वैक्सीन की तीसरी बूस्टर खुराक एंटीबॉडी के स्तर को सफलतापूर्वक बढ़ाने में सक्षम है, जो कि ओमिक्रॉन वैरिेएंट को बेअसर कर देता है. हाल ही में किए गए एक प्रयोगशाला के निष्कर्षों से यह जानकारी मिली है. द लैंसेट में एक शोध पत्र के रूप में प्रकाशित, फ्रांसिस क्रिक इंस्टीट्यूट और यूसीएलएच बायोमेडिकल रिसर्च के शोधकतार्ओं ने पाया कि जिन लोगों ने ऑक्सफोर्ड/एस्ट्राजेनेका वैक्सीन या फाइजर/बायोएनटेक वैक्सीन की केवल दो खुराक प्राप्त की हैं, उनमें उत्पन्न एंटीबॉडी अल्फा और डेल्टा वैरिएंट की तुलना में ओमिक्रॉन वैरिएंट को बेअसर करने में कम प्रभावी हैं. उन्होंने यह भी पाया कि दूसरी खुराक के बाद पहले तीन महीनों में एंटीबॉडी का स्तर गिर गया, लेकिन तीसरी बूस्टर खुराक ने एंटीबॉडी के स्तर को बढ़ा दिया, जिसने ओमिक्रॉन वैरिएंट को प्रभावी ढंग से बेअसर कर दिया.
जिन लोगों ने तीनों खुराकों के लिए फाइजर/बायोएनटेक वैक्सीन प्राप्त की थी, उनमें तीसरी खुराक के बाद ओमिक्रॉन के खिलाफ एंटीबॉडी का स्तर उन लोगों के समान था, जो पहले केवल दो खुराक के बाद डेल्टा के संपर्क में आए थे. कुल मिलाकर, एंटीबॉडी का स्तर दो के बाद की तुलना में तीन खुराक के बाद ओमिक्रॉन के खिलाफ लगभग 2.5 गुना अधिक था. यूसीएलएच में संक्रामक रोग सलाहकार एम्मा वॉल ने कहा, जो लोग टीकाकरण केंद्रों के बाहर कतार में खड़े हैं, उन्हें आश्वस्त किया जाना चाहिए कि एक बूस्टर डोज उन्हें ओमिक्रॉन से बचाने का सबसे अच्छा तरीका है. और जिन लोगों ने अभी तक बूस्टर या फिर पहली खुराक ही नहीं ली है, उनके लिए बहुत देर नहीं हुई है. उन्होंने कहा, यह नया वैरिएंट दो वैक्सीन खुराकों द्वारा लगाए गए प्रतिरक्षा नाकाबंदी को दूर कर सकता है, लेकिन शुक्र है कि तीसरी खुराक के बाद, अधिकांश लोगों में निष्क्रियता गतिविधि मजबूत है. एक तीसरी खुराक हमारे बचाव को बेहतर बनाती है, जिससे वायरस के लिए गंभीर कोविड-19 का कारण बनना कठिन हो जाता है यह भी पढ़ें : Covid Vaccination: UP में वैक्सीनेशन का आंकड़ा 24 करोड़ के पार, CM योगी बोले- ‘कोरोना तो हारेगा’
टीम ने अध्ययन में शामिल 364 लोगों के रक्त के 620 नमूनों का विश्लेषण किया. ओमिक्रॉन वैरिएंट के खिलाफ एंटीबॉडी के उच्च स्तर उन लोगों में भी पाए गए, जिन्हें या तो टीके की दो खुराक मिली थी और उन्हें पहले भी कोविड-19 लक्षण होने महसूस हुए थे, उन लोगों की तुलना में जिनमें पहले कोविड के लक्षण नहीं थे. शोधकतार्ओं ने यह भी पाया कि जेवुडी (सोट्रोविमैब), हाल ही में स्वीकृत सिंथेटिक मोनोक्लोनल एंटीबॉडी है, जिसका उपयोग गंभीर कोविड-19 के जोखिम वाले रोगियों के इलाज करने के लिए किया जाता है, वह ओमिक्रॉन वैरिएंट को बेअसर करने में सक्षम है.